क्या केरल सीएम पर कांग्रेस और पूर्व वाम विधायक के मामलों के निपटारे में दोहरे मापदंड लगे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस विधायक के मामले में त्वरित कार्रवाई और पूर्व विधायक के मामले में देरी में अंतर है।
- राजनीतिक पक्षपात के आरोप जांच का विषय हैं।
- सीसीटीवी फुटेज ने मामले में महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं।
तिरुवनंतपुरम, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म निर्माता और पूर्व माकपा-समर्थित विधायक पीटी कुंजू मोहम्मद के खिलाफ शिकायत के निपटारे में धीमी कार्रवाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं, खासकर जब कांग्रेस विधायक राहुल ममकूत्ताथिल के मामले में पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की थी।
राहुल ममकूत्ताथिल के मामले में पहली शिकायत सीधे मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के पास पहुंची थी और उन्होंने तुरंत उसे पुलिस को सौंप दिया। इसके बाद दूसरी शिकायत केपीसीसी अध्यक्ष सनी जोसेफ को मिली, जिसे उन्होंने तुरंत राज्य पुलिस प्रमुख रवाडा ए चंद्रशेखर को भेजा, जिसके बाद तत्काल कार्रवाई हुई। दोनों बार मिली पुलिस की तत्परता की व्यापक तौर पर सराहना की गई।
इसके विपरीत, पीटी कुंजू मोहम्मद के खिलाफ दर्ज शिकायत 27 नवंबर को मुख्यमंत्री विजयन को सौंपी गई थी, लेकिन इसे पुलिस को भेजा गया 2 दिसंबर को, यानी लगभग पांच दिन बाद। इस देरी ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में अलग-अलग मानदंड अपनाने के आरोपों को हवा दे दी है।
शिकायत के अनुसार यह घटना तिरुवनंतपुरम के एक होटल में हुई, जहां आरोप है कि कुंजू मोहम्मद शिकायतकर्ता के कमरे में घुसे। सीसीटीवी फुटेज में दोनों के होटल में मौजूद होने और आरोपी के कमरे में प्रवेश करने की पुष्टि की गई है। इसके आधार पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 74 और 75(1) के तहत मामला दर्ज किया गया है। ये धाराएं जमानती हैं और पुलिस बुधवार को मजिस्ट्रेट के सामने शिकायतकर्ता का बयान दर्ज कर सकती है।
घटना कथित तौर पर 6 नवंबर की है, जब 30वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ केरला के लिए मलयालम फिल्मों के चयन की प्रक्रिया चल रही थी। उस दौरान कुंजू मोहम्मद चयन समिति के अध्यक्ष थे और शिकायतकर्ता समिति की सदस्य थीं। दोनों होटल में ठहरे हुए थे।
कुंजू मोहम्मद ने सभी आरोपों से इनकार किया है, उनका कहना है कि उन्होंने अनुचित व्यवहार नहीं किया और यदि शिकायतकर्ता को कोई असुविधा हुई हो तो वे माफी मांगने को तैयार हैं, लेकिन शिकायत को पुलिस के पास भेजने में हुई देरी और दोनों मामलों के निपटारे में स्पष्ट अंतर ने राज्य सरकार और पुलिस पर निष्पक्षता और एकरूपता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।