क्या हैदराबाद में बोनालु उत्सव में भक्तों की भीड़ उमड़ी?

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क्या हैदराबाद में बोनालु उत्सव में भक्तों की भीड़ उमड़ी?

सारांश

हैदराबाद में बोनालु उत्सव का उत्साह देखने लायक था। इस पवित्र अवसर पर लाखों भक्तों ने महाकाली की पूजा की। उपमुख्यमंत्री और अन्य नेताओं ने भी इस धार्मिक उत्सव में भाग लिया। आइए जानते हैं इस उत्सव की विशेषताएँ और इसके पीछे की परंपरा।

Key Takeaways

  • बोनालु उत्सव देवी महांकाली को समर्पित है।
  • इस उत्सव में महिलाएं विशेष बर्तनों में बोनालु अर्पित करती हैं।
  • प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं।
  • उत्सव का समापन एक भव्य जुलूस के साथ होता है।
  • यह उत्सव तेलंगाना की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

हैदराबाद, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में रविवार को पारंपरिक अंदाज में बोनालु उत्सव का आयोजन हुआ। इस पवित्र उत्सव में हजारों श्रद्धालुओं ने महाकाली मंदिरों में पूजा-अर्चना की।

तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्का, मंत्रियों पोन्नम प्रभाकर, वकाती श्रीहरि और कोमेटरेड्डी वेंकट रेड्डी ने लाल दरवाजा स्थित सिंहवाहिनी महाकाली मंदिर में राज्य सरकार की तरफ से देवी को रेशमी वस्त्र अर्पित किए।

उपमुख्यमंत्री विक्रमार्का ने बताया कि उन्होंने तेलंगाना की विकास, समृद्धि और लोगों की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। इस अवसर पर हरियाणा के पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, भाजपा सांसद के. लक्ष्मण, विधायक डी. नागेंद्र, बीआरएस एमएलसी के. कविता, भाजपा नेता माधवी लता और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अध्यक्ष बी.आर. नायडू ने भी लाल दरवाजा के महाकाली मंदिर, शाह अली बंडा के ऐतिहासिक अक्कन्ना मदन्ना मंदिर और शहर के अन्य मंदिरों में पूजा की। केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने अंबरपेट के महाकाली मंदिर में प्रार्थना की।

बोनालु उत्सव देवी महांकाली को समर्पित है, जिसे बुराई को दूर करने और शांति लाने के लिए मनाया जाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में महिला भक्तों ने सिर पर स्टील और मिट्टी के बर्तनों में पके हुए चावल, गुड़, दही और हल्दी पानी से बनी बोनालु अर्पित की। तेलंगाना राज्य बनने के बाद 2014 में इसे राज्य उत्सव घोषित किया गया था, और तब से इसे भव्य तरीके से मनाया जा रहा है।

प्रशासन ने भक्तों की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए। मंदिरों के आसपास पीने का पानी, स्वच्छता, सड़क और निर्बाध बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की गई। सुरक्षा के लिए लाल दरवाजा मंदिर के आसपास करीब 1,200 पुलिसकर्मी तैनात किए गए।

दो दिवसीय उत्सव सोमवार को 'रंगम' के साथ समाप्त होगा, जो अक्कन्ना मदन्ना मंदिर में भविष्यवाणी होती है। इसके बाद एक सजे-धजे हाथी पर देवी महाकाली की 'घटम' को लेकर एक संयुक्त जुलूस निकलेगा।

यह जुलूस पुराने शहर के मुख्य मार्गों, जिसमें ऐतिहासिक चारमीनार भी शामिल है, से होकर गुजरेगा और मूसी नदी के पास दिल्ली दरवाजा माता मंदिर पहुंचेगा, जहां घटम का विसर्जन किया जाएगा।

उत्सव के मद्देनजर, अधिकारियों ने हैदराबाद, साइबराबाद और रचाकोंडा कमिश्नरेट में शराब की दुकानें, बार, रेस्तरां और ताड़ी के ठेके बंद करने का आदेश दिया था। बोनालु उत्सव आषाढ़ महीने में हैदराबाद और सिकंदराबाद के विभिन्न हिस्सों में चार रविवार को मनाया जाता है। पिछले रविवार को सिकंदराबाद में उत्सव हुआ, जहां मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने पूजा की थी।

Point of View

बल्कि यह तेलंगाना की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह उत्सव न केवल स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे देश में एकता, समर्पण और धार्मिक सहिष्णुता का भी संदेश देता है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

बोनालु उत्सव कब मनाया जाता है?
बोनालु उत्सव हर वर्ष आषाढ़ महीने में चार रविवारों को मनाया जाता है।
इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य क्या है?
यह उत्सव देवी महांकाली की पूजा के लिए मनाया जाता है, जो बुराई को दूर करने और शांति लाने का प्रतीक है।
इस वर्ष बोनालु उत्सव में कितने भक्त शामिल हुए?
इस वर्ष लाखों भक्तों ने बोनालु उत्सव में भाग लिया।
क्या प्रशासन ने इस उत्सव के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम किए हैं?
जी हां, प्रशासन ने सुरक्षा के लिए 1200 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है।
उत्सव का समापन कैसे होता है?
उत्सव का समापन 'रंगम' के साथ होता है, जिसके बाद जुलूस निकाला जाता है।