क्या भारत को अपने विकास का मार्ग खुद तय करना होगा, बाहरी दबावों का विरोध करना चाहिए? : गौतम अदाणी

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क्या भारत को अपने विकास का मार्ग खुद तय करना होगा, बाहरी दबावों का विरोध करना चाहिए? : गौतम अदाणी

सारांश

गौतम अदाणी ने कहा है कि भारत को अपने विकास का मार्ग खुद तय करना चाहिए और बाहरी दबावों का डटकर सामना करना चाहिए। उन्होंने संसाधनों पर नियंत्रण की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे भारत की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा।

Key Takeaways

  • भारत को अपने विकास का मार्ग स्वयं तय करना चाहिए।
  • बाहरी दबावों का विरोध आवश्यक है।
  • संसाधनों पर नियंत्रण भारत की आर्थिक स्वतंत्रता की बुनियाद है।

नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत को अपने विकास का मार्ग स्वयं निर्धारित करना आवश्यक है और बाहरी दबावों का विरोध करना चाहिए। यह वक्तव्य अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी द्वारा मंगलवार को दिया गया।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स), धनबाद में शताब्दी समारोह के दौरान, अदाणी ने कहा कि 21वीं सदी में संप्रभुता किसी राष्ट्र की अपने प्राकृतिक संसाधनों और ऊर्जा प्रणालियों पर नियंत्रण पर निर्भर करेगी।

उन्होंने कहा, हमें उन संसाधनों और ईंधन पर नियंत्रण बनाए रखना चाहिए, जो हमारी विकास में सहायक हैं। इसे भारत की आर्थिक स्वतंत्रता की बुनियाद के रूप में भी देखा जा सकता है।

गौतम अदाणी ने बाहरी दबावों का विरोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि हमें केवल वही करना चाहिए जो भारत के हित में सर्वोत्तम हो।

उन्होंने कहा, "यदि हम अपनी कहानी पर नियंत्रण नहीं रखेंगे तो हमारी आकांक्षाएं अवैध हो जाएंगी और हमारे जीवन स्तर में सुधार की कोशिशों को वैश्विक अपराध के रूप में पेश किया जाएगा।"

अंतर्राष्ट्रीय आंकड़ों का उल्लेख करते हुए, अदाणी ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जक देशों में से एक है, जबकि देश ने समय से पहले ही 50 प्रतिशत से अधिक गैर-जीवाश्म स्थापित क्षमता प्राप्त कर ली है।

उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति मीट्रिक या ऐतिहासिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखे बिना भारत के स्थिरता प्रदर्शन को कम आंकने के प्रयास, वैश्विक ईएसजी ढांचों में निहित पूर्वाग्रहों को दर्शाते हैं।

गौतम अदाणी ने बताया कि आईआईटी धनबाद का गठन राष्ट्रीय दृष्टि के परिणामस्वरूप हुआ था। ब्रिटिश शासन के दौरान, एक सदी से भी पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने खनन और भूविज्ञान में भारत की क्षमताओं के विकास हेतु एक संस्थान की स्थापना करने का सुझाव दिया था।

अदाणी समूह के अध्यक्ष ने कहा कि यह दृष्टिकोण एक गहरी सभ्यतागत समझ को दर्शाता है कि कोई भी राष्ट्र अपनी धरती की शक्ति को आत्मसात किए बिना उन्नति नहीं कर सकता।

उन्होंने आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के लिए दो नई पहलों की घोषणा की, जिसमें पहला - एक वार्षिक कार्यक्रम जिसमें 50 सशुल्क इंटर्नशिप का प्रावधान किया जाएगा और दूसरा - टीईएक्सएमआईएन के साथ साझेदारी में अदाणी 3एस माइनिंग एक्सीलेंस सेंटर, जिसमें मेटावर्स लैब, ड्रोन बेड़े, भूकंपीय संवेदन प्रणालियां और सटीक खनन प्रौद्योगिकियां शामिल होंगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत को अपनी विकास यात्रा में स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता है। बाहरी दबावों के खिलाफ खड़े होकर ही हम वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना सकते हैं।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

गौतम अदाणी ने क्या कहा?
गौतम अदाणी ने कहा कि भारत को अपने विकास का मार्ग स्वयं तय करना चाहिए और बाहरी दबावों का विरोध करना चाहिए।
आईआईटी धनबाद की स्थापना का कारण क्या था?
आईआईटी धनबाद का गठन राष्ट्रीय दृष्टि के कारण हुआ था, जिसमें खनन और भूविज्ञान में भारत की क्षमताओं के विकास का उद्देश्य था।
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