क्या कर्नाटक हाईकोर्ट ने कुछ घंटों में ही राज्य सरकार के ‘मासिक धर्म अवकाश’ आदेश पर लगी रोक वापस ली?

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क्या कर्नाटक हाईकोर्ट ने कुछ घंटों में ही राज्य सरकार के ‘मासिक धर्म अवकाश’ आदेश पर लगी रोक वापस ली?

सारांश

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश पर लगी रोक वापस ले ली है, जिसमें कामकाजी महिलाओं को एक दिन का पेड मेंस्ट्रुअल लीव देने का प्रावधान था। अदालत ने एडवोकेट जनरल के अनुरोध पर यह निर्णय लिया। यह मामला आगामी सुनवाई में और अधिक चर्चा का विषय बनेगा।

Key Takeaways

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक वापस ली।
  • महिलाओं को पेड मेंस्ट्रुअल लीव देने की तैयारी।
  • अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

बेंगलुरु, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार के उस आदेश पर लगी अंतरिम रोक को वापस ले लिया, जिसमें पंजीकृत औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत महिलाओं को एक दिन का पेड मेंस्ट्रुअल लीव (मासिक धर्म अवकाश) देने का प्रावधान किया गया था। अब यह मामला बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है。

जस्टिस एम. ज्योति की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह कदम तब उठाया जब एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने लंच ब्रेक से पहले अदालत का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित किया और पहले जारी हुए स्थगन आदेश की समीक्षा करने का आग्रह किया। कोर्ट ने अनुरोध स्वीकार करते हुए आदेश को वापस ले लिया और मामले को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

इससे पहले मंगलवार सुबह ही हाईकोर्ट ने सरकार की अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाते हुए सरकार को आपत्तियां दाखिल करने के निर्देश दिए थे। रोक उस याचिका पर सुनवाई के दौरान लगाई गई थी जिसे बैंगलोर होटल्स एसोसिएशन और एविराटा एएफएल कनेक्टिविटी सिस्टम्स लिमिटेड ने दायर किया था। अदालत ने तब पूछा था कि क्या सरकार ने अधिसूचना जारी करने से पहले उद्योग प्रबंधन से परामर्श लिया था। याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि ऐसा नहीं किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने अस्थायी रोक दी थी।

याचिका में कहा गया है कि सरकार ने बिना विधायी प्रावधान के एक कार्यकारी आदेश जारी कर उद्योगों को मासिक धर्म अवकाश देने के लिए बाध्य किया है, जबकि उद्योगों से संबंधित मौजूदा श्रम कानून, जैसे फैक्ट्री अधिनियम, कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, प्लांटेशन लेबर एक्ट, बीड़ी और सिगार श्रमिक अधिनियम, और मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स एक्ट, पहले से ही 12 दिनों के वार्षिक अवकाश की अनुमति देते हैं और उनमें कहीं भी मेंस्ट्रुअल लीव का उल्लेख नहीं है। इसलिए सरकार के पास कार्यकारी आदेश के माध्यम से ऐसे अवकाश को अनिवार्य करने का अधिकार नहीं है। याचिका में इसे असंवैधानिक बताते हुए अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया गया है।

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में 18 से 52 वर्ष की सभी कामकाजी महिलाओं को हर महीने एक दिन का पेड मेंस्ट्रुअल लीव देने की घोषणा की थी। यह अवकाश स्थायी, संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों सभी पर लागू रहेगा। अधिसूचना 12 नवंबर को जारी की गई थी।

मंगलवार को हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के कुछ ही घंटों बाद एडवोकेट जनरल के अनुरोध पर कोर्ट ने रोक वापस ले ली और मामले की अंतिम सुनवाई बुधवार को होगी।

Point of View

बल्कि यह समाज में महिलाओं की स्वास्थ्य और अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी सहायक होगा। ऐसे निर्णयों से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सक्रिय है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या कर्नाटक में महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश मिलेगा?
हाँ, कर्नाटक सरकार ने 18 से 52 वर्ष की सभी कामकाजी महिलाओं को हर महीने एक दिन का पेड मेंस्ट्रुअल लीव देने की घोषणा की थी।
क्यों हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगाई थी?
हाईकोर्ट ने यह रोक इसलिए लगाई थी क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि सरकार ने अधिसूचना जारी करने से पहले उद्योग प्रबंधन से परामर्श नहीं किया।
क्या यह आदेश असंवैधानिक है?
याचिका में दावा किया गया है कि यह आदेश बिना विधायी प्रावधान के जारी किया गया है, जो अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
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