क्या राष्ट्रपति मुर्मू ने आदिवासी भरेवा शिल्पकार को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित किया?

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क्या राष्ट्रपति मुर्मू ने आदिवासी भरेवा शिल्पकार को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित किया?

सारांश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भरेवा शिल्पकार बलदेव वाघमारे को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार प्रदेश के पारंपरिक शिल्प को जीआई टैग के साथ राष्ट्रीय मान्यता भी देता है। जानिए इस अनूठी कला के बारे में।

Key Takeaways

  • भरेवा शिल्पकार बलदेव वाघमारे को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार मिला।
  • यह पुरस्कार मध्य प्रदेश के पारंपरिक जनजातीय कला को मान्यता प्रदान करता है।
  • भरेवा कारीगरों ने जीआई टैग प्राप्त किया है।
  • यह कला गोंड समुदाय की संस्कृति का हिस्सा है।
  • बलदेव ने अपने गांव को शिल्प गांव में बदला है।

नई दिल्ली/भोपाल, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के भरेवा शिल्पकार बलदेव वाघमारे को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित किया।

यह पुरस्कार मध्य प्रदेश के पारंपरिक जनजातीय भरेवा शिल्प को राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करता है, जिसे हाल ही में जीआई टैग भी दिया गया है।

स्थानीय बोली में, 'भरेवा' का अर्थ है 'भरने वाले'। भरेवा कलाकार गोंड समुदाय की एक उप-जनजाति से संबंधित हैं, जो पूरे भारत में, विशेष रूप से मध्य भारत में फैली हुई है।

भरेवा धातु शिल्प की परंपरा गोंड जनजातीय समुदाय के रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मिलकर विकसित हुई है। यह परंपरा और शिल्प कौशल का एक अद्वितीय मिश्रण प्रस्तुत करती है।

भरेवा कारीगर देवताओं के प्रतीकात्मक चित्र बनाते हैं और अंगूठियां और खंजर जैसे आभूषण भी बनाते हैं, जो गोंड परिवारों में विवाह अनुष्ठानों के लिए आवश्यक होते हैं। कुछ आभूषण, जैसे कलाईबंद और बाजूबंद, विशेष रूप से आध्यात्मिक गुरुओं या पारंपरिक चिकित्सकों के लिए बनाए जाते हैं।

बैलगाड़ी, मोर के आकार के दीपक, घंटियां और पायल सहित सजावटी कलाकृतियों और उपयोगी वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला ने अंतर्राष्ट्रीय शिल्प बाजार में पहचान बनाई है।

भरेवा समुदाय मुख्य रूप से राज्य की राजधानी भोपाल से लगभग 180 किलोमीटर दूर बैतूल जिले के कुछ क्षेत्रों में केंद्रित है। बलदेव ने भरेवा कारीगरों की संख्या में गिरावट को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

अपने समर्पित प्रयासों से उन्होंने बैतूल जिले के टिगरिया गांव को एक 'शिल्प गांव' में बदल दिया है, जहां भरेवा परिवार इस अनूठी पारंपरिक कला को संरक्षित और अभ्यास करते रहते हैं।

भरेवा लोग गोंड समुदाय के धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं का गहन ज्ञान रखते हैं। जिन देवताओं की मूर्तियां वे बनाते हैं, उनमें प्रमुख हैं भगवान शिव और देवी पार्वती.

Point of View

बल्कि यह मध्य प्रदेश के अद्वितीय संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतीक है। ऐसे पुरस्कार जनजातीय कलाओं को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें राष्ट्रीय मंच पर लाते हैं।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

भरेवा शिल्प क्या है?
भरेवा शिल्प गोंड समुदाय की एक उप-जनजाति द्वारा बनाए जाने वाले धातु शिल्प का एक अद्वितीय स्वरूप है।
राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार क्या है?
यह पुरस्कार उन कारीगरों को दिया जाता है जिन्होंने अपनी कला में विशेष योगदान दिया है।
भरेवा समुदाय कहाँ स्थित है?
भरेवा समुदाय मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के कुछ क्षेत्रों में स्थित है।
जीआई टैग क्या है?
जीआई टैग एक विशेष पहचान है जो किसी विशिष्ट स्थान के उत्पादों को दिया जाता है।
भरेवा शिल्प के क्या प्रमुख उत्पाद हैं?
भरेवा शिल्प में आभूषण, देवताओं के प्रतीकात्मक चित्र और सजावटी वस्तुएं शामिल हैं।
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