क्या सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई महत्वपूर्ण है।
- उमर खालिद और शरजील इमाम के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।
- जमानत की संभावनाएं सुनवाई पर निर्भर करेंगी।
नई दिल्ली, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में आरोपी छात्र नेता उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और अन्य कार्यकर्ताओं की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई फिर से प्रारम्भ करेगा। सभी आरोपी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत जेल में बंद हैं।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित कॉजलिस्ट के अनुसार, जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की बेंच 3 नवंबर को सह आरोपी मीरान हैदर, मोहम्मद सलीम खान और शिफा उर रहमान और दिल्ली पुलिस की दलीलें सुनना जारी रखेगी।
पिछली सुनवाई में उमर खालिद की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा था कि प्रॉसिक्यूशन लगातार ट्रायल में देरी कर रहा है और अब इसका इल्जाम आरोपी पर डालने का प्रयास कर रहा है। सिब्बल ने यह भी कहा कि दंगों से जुड़ी 751 एफआईआर में से केवल एक में खालिद का नाम है। जब दंगे हुए, तब वह दिल्ली में नहीं थे और उनके पास से कोई भी गुनाह साबित करने वाला सामान बरामद नहीं हुआ।
उन्होंने तर्क किया कि खालिद पर लगाए गए आरोप यूएपीए के तहत 'आतंकवादी गतिविधि' की परिभाषा में नहीं आते और उन्होंने सह-आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा, देवंगाना कलिता और नताशा नरवाल को मिली जमानत के आदेशों का हवाला दिया।
शरजील इमाम के वकील सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन को जांच पूरी करने में तीन साल से अधिक समय लग गया और वे सितंबर 2024 तक सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल करते रहे।
दवे ने जस्टिस कुमार की बेंच से कहा कि मुकदमा आगे नहीं बढ़ सका क्योंकि जांच अभी भी चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि शरजील इमाम 25 जनवरी 2020 से जेल में हैं।
अभिषेक मनु सिंघवी ने गुलफिशा फातिमा के लिए कहा कि उन पर केवल विरोध स्थल बनाने का आरोप है, उस स्थल पर कोई हिंसा नहीं हुई और न ही मौखिक सबूत हैं।
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने शरजील इमाम, उमर खालिद और अन्य आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।