क्या अमेरिका-भारत संबंधों में 'राजनीतिक ठहराव' का खतरा है?

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क्या अमेरिका-भारत संबंधों में 'राजनीतिक ठहराव' का खतरा है?

सारांश

अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक संबंध एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते राजनीतिक तनावों का समाधान न करने पर यह संबंध खतरे में पड़ सकते हैं, जिससे दोनों देशों की प्रगति को नुक़सान हो सकता है। जानें इस संबंध का वर्तमान हालात और भविष्य की संभावनाएँ।

Key Takeaways

  • राजनीतिक ठहराव अमेरिका-भारत संबंधों के लिए एक गंभीर चुनौती है।
  • व्यापार-टैरिफ विवाद एक महत्वपूर्ण कारण है।
  • चीन का बढ़ता प्रभाव अमेरिकी-भारतीय साझेदारी को प्रभावित कर रहा है।
  • द्विपक्षीय व्यापार समझौते में ढिलाई से गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।
  • रक्षा, ऊर्जा और तकनीक में सहयोग अभी भी मजबूत है।

वॉशिंगटन, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका और भारत के बीच पिछले दो दशकों में स्थापित रणनीतिक सहयोग एक नए संकट के कगार पर है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ध्रुव जयशंकर ने एक लिखित बयान में चेतावनी दी है कि यदि दोनों देश बढ़ते राजनीतिक तनावों को जल्दी नहीं सुलझाते हैं, तो वर्षों की मेहनत से मिली प्रगति को खतरा हो सकता है।

जयशंकर ने यह बयान अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के सामने एक महत्वपूर्ण सुनवाई से पहले दिया।

उन्होंने कहा कि अमेरिका-भारत संबंध, जो विभिन्न सरकारों के कार्यकाल में लगातार मजबूत होते रहे हैं, आज ‘राजनीतिक ठहराव’ की स्थिति में पहुंच गए हैं। इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं: व्यापार-टैरिफ विवाद और अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के साथ बढ़ती नजदीकियां।

यह वही साझेदारी है जो 1998 से आर्थिक सहयोग, इंडो-पैसिफिक रणनीति और चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच मजबूत होती रही है। जयशंकर ने कहा कि आज जब दोनों देश चीन के बढ़ते प्रभाव और विश्व में फैलती अस्थिरताओं का सामना कर रहे हैं, ऐसे में साझेदारी का ठहरना खतरनाक साबित हो सकता है।

उन्होंने बताया कि किस प्रकार 1999 में प्रतिबंध हटने से 2008 के ऐतिहासिक सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट तक, रक्षा सहयोग, इंटरऑपरेबिलिटी में वृद्धि, क्वाड की पुनः सक्रियता, और स्पेस, क्रिटिकल मिनरल्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में बढ़ती साझेदारी ने दोनों देशों को करीब लाया है।

हालांकि, अब वही प्रगति बाधित होती दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा, "वर्तमान स्थिति राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा फरवरी 2025 में निर्धारित महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय एजेंडा को नुकसान पहुंचा सकती है, और क्वाड, मध्य पूर्व और वैश्विक मामलों में हो रहे रणनीतिक सहयोग को भी झटका दे सकती है।"

जयशंकर ने कहा कि चीन की सैन्य क्षमता अब अमेरिका की बराबरी पर है। उन्होंने चीन की सीमाओं पर घुसपैठ, 2020 के गलवान संघर्ष, इतिहास के सबसे बड़े नौसेना विस्तार, और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बनाए जा रहे डुअल-यूज पोर्ट्स का उल्लेख किया।

भारत ने भी 2017 से समुद्री मोर्चे पर गश्त बढ़ाई है और क्वाड के समुद्री डोमेन जागरूकता कार्यक्रम जैसे कई सहयोगी प्रयासों को मजबूत किया है।

उन्होंने कहा कि अप्रैल में भारत पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई पर अमेरिका की प्रतिक्रिया और फिर पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व के साथ बढ़ती बातचीत ने भारत-अमेरिका संबंधों को झटका दिया है।

जयशंकर ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के दीर्घकालिक इतिहास की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह भारत और समग्र क्षेत्र के लिए एक स्थायी सुरक्षा चुनौती बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार समझौता पटरी से उतरने के बाद अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ अब दुनिया में किसी भी देश पर लगाए गए सबसे ऊंचे टैरिफ में से एक हैं, जिससे दोनों देशों के निर्यातकों, निवेशकों और कर्मचारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ये शुल्क लंबे समय तक बने रहे, तो भारत में इन्हें ‘राजनीतिक शत्रुता’ के रूप में देखा जाने लगेगा।

तनाव के बावजूद दोनों देश रक्षा, ऊर्जा और तकनीक में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इस वर्ष कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हुईं, जिनमें 10-वर्षीय डिफेंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट, बड़े रक्षा सौदे, विस्तारित सैन्य अभ्यास, नासा की सहायता से मानव अंतरिक्ष मिशन, भारत-अमेरिका द्वारा विकसित निसार सैटेलाइट का लॉन्च, और 1.3 अरब डॉलर के भारतीय एलएनजी आयात सौदे जैसे कदम शामिल हैं।

जयशंकर के अनुसार, साझेदारी के चार मुख्य स्तंभ (व्यापार, ऊर्जा, तकनीक और रक्षा) अब भी बहुत मजबूत हैं। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्रिटिकल मिनरल्स, सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन, और भारत-अमेरिका ट्रस्ट पहल के तहत रक्षा सह-उत्पादन में अपार संभावनाएं बताईं।

Point of View

दोनों देशों को अपनी साझेदारी को मजबूत करने की आवश्यकता है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह संबंध दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक नुकसान का कारण बन सकता है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

अमेरिका-भारत संबंधों में ठहराव का क्या कारण है?
अमेरिका-भारत संबंधों में ठहराव का मुख्य कारण व्यापार-टैरिफ विवाद और अमेरिका की पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के साथ बढ़ती नजदीकियां हैं।
क्या इससे दोनों देशों के बीच सहयोग प्रभावित होगा?
हां, यदि समय रहते इन मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, तो इससे दोनों देशों के बीच सहयोग और प्रगति प्रभावित हो सकती है।
जयशंकर ने क्या चेतावनी दी है?
जयशंकर ने चेतावनी दी है कि बढ़ते राजनीतिक तनावों का समाधान न करने पर वर्षों की मेहनत से बनी प्रगति को खतरा हो सकता है।
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