क्या हम टेलीग्राफ से डिजिटल युग तक भारत की यात्रा का जश्न मना रहे हैं?: सीपी राधाकृष्णन

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क्या हम टेलीग्राफ से डिजिटल युग तक भारत की यात्रा का जश्न मना रहे हैं?: सीपी राधाकृष्णन

सारांश

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने विज्ञान भवन में आईटीएस की हीरक जयंती समारोह में कहा कि हम टेलीग्राफ से डिजिटल युग तक भारत की यात्रा का जश्न मना रहे हैं। उन्होंने डिजिटल इंडिया की उपलब्धियों और आईटीएस के योगदान पर प्रकाश डाला। यह समारोह केवल एक सेवा का जश्न नहीं, बल्कि समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है।

Key Takeaways

  • भारत की डिजिटल यात्रा को मान्यता दी गई।
  • आईटीएस की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख।
  • डिजिटल इंडिया के उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
  • तकनीकी उत्कृष्टता की आवश्यकता।
  • समावेशिता और उन्नति की दिशा में आगे बढ़ना।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को दिल्ली में विज्ञान भवन में भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) की हीरक जयंती समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने सभी सेवारत और सेवानिवृत्त आईटीएस अधिकारियों को छह दशकों की अद्वितीय सेवा के लिए बधाई दी और भारत के संचार एवं डिजिटल विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम केवल सेवा के साठ वर्ष पूरे नहीं कर रहे हैं, बल्कि टेलीग्राफ से डिजिटल युग तक भारत की यात्रा का जश्न मना रहे हैं।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

दूरसंचार को 'डिजिटल इंडिया की रीढ़' बताते हुए उपराष्ट्रपति ने देश के हर हिस्से को जोड़ने और राष्ट्रीय आपात स्थितियों के दौरान निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए इस सेवा की सराहना की। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया हमेशा से लोगों और भारत को एक परिवार की तरह जोड़े रखने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि जैसे-जैसे भारत 5जी, 6जी, सैटेलाइट इंटरनेट और क्वांटम संचार के युग की ओर बढ़ रहा है, वे नैतिकता, समानता और उत्कृष्टता के मूल मूल्यों को बनाए रखें। उन्होंने जोर दिया कि प्रौद्योगिकी को मानवता की सेवा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी भारतीय पीछे न छूटे।

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) ने हमेशा नेटवर्क और संख्याओं से अधिक का प्रतिनिधित्व किया है; यह मूलतः लोगों के बारे में है। यह आपकी अटूट प्रतिबद्धता के बारे में है, जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है। भारत को केवल एक राष्ट्र के रूप में नहीं बल्कि एक एकीकृत परिवार के रूप में जोड़ने के लिए कार्य करना है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि दूरसंचार अब केवल एक क्षेत्र नहीं रह गया है। यह डिजिटल इंडिया की रीढ़ है, जो शासन, शिक्षा, वित्त और नवाचार के स्तंभों का समर्थन करता है। चाहे नीति निर्माण हो, स्पेक्ट्रम प्रबंधन हो, या मजबूत और सुरक्षित नेटवर्क सुनिश्चित करना हो, आईटीएस अधिकारी हमेशा से राज्य में बदलाव के सबसे भरोसेमंद वास्तुकार रहे हैं। भारत का दूरसंचार विकास विशेषज्ञ इंजीनियरिंग, संस्थागत मज़बूती और जन-कर्तव्य की गहरी भावना का प्रमाण है।

आईटीएस समुदाय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि आप समावेशिता और परिवर्तन के शांत इंजीनियर हैं। भविष्य में ज्ञान और समानता के सेतुओं का निर्माण हो।

वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारत के दूरसंचार क्षेत्र की परिवर्तनकारी यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्र की प्रगति भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) संवर्ग के विकास के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। टेलीग्राफ तारों और मैनुअल एक्सचेंजों के युग से लेकर अत्याधुनिक 5जी नेटवर्क, एआई-संचालित प्रणालियों और 6जी तकनीक के क्षितिज तक, आईटीएस भारत के डिजिटल विकास की रीढ़ रहा है। आईटीएस संवर्ग भारत की डिजिटल प्रगति के हर अध्याय में निरंतरता, क्षमता और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

सिंधिया ने अपने भाषण में भारत के दूरसंचार क्षेत्र की यात्रा को याद किया। उन्होंने कहा कि देश की तरक्की भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) कैडर से जुड़ी है। टेलीग्राफ के तारों और मैनुअल एक्सचेंज से लेकर 5जी, एआई और आने वाले 6जी तक, आईटीएस ने भारत की डिजिटल प्रगति की रीढ़ की तरह काम किया है। उन्होंने कहा कि आईटीएस निरंतरता, क्षमता और आत्मविश्वास देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन में सड़क, हवाई अड्डा, जलमार्ग के साथ-साथ डिजिटल क्रांति भी है, जिसे आईटीएस अधिकारियों ने बनाया है।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को जिज्ञासु, निरंतर सीखने वाले, विनम्र, सुधार करने वाले और मेंटर बनना चाहिए। एक टीम, एक विजन, एक लक्ष्य, एक परिणाम और नवाचार की क्षमता- यही मंत्र अपनाएं।

संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्र शेखर पेम्मासानी ने कहा कि आईटीएस अधिकारियों ने सुरक्षित, सस्ती डिजिटल संरचना बनाई है। भारत अब तकनीक का उपभोक्ता नहीं, टेलीकॉम प्रोडक्ट नेशन बन रहा है। संचार साथी जैसे स्वदेशी समाधान इसके उदाहरण हैं। आईटीएस ने डिजिटल हाईवे बनाए, जिससे डिजिटल और अवसर की खाई पाटी जा रही है। 60 साल की शानदार सेवा पर बधाई!

सचिव (दूरसंचार) डॉ. नीरज मित्तल ने आईटीएस की तकनीकी और प्रबंधकीय उत्कृष्टता की सराहना की। ये अधिकारी सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन के असली अगुआ हैं। 60 साल में तकनीकी बदलावों में लचीलापन दिखाया। बीएसएनएल का स्वदेशी 4जी स्टैक आत्मनिर्भर भारत का चमकता उदाहरण है। 60 साल में आईटीएस एक मजबूत टेलीकॉम बैकबोन की तरह है: मजबूत, लचीला, जरूरी जगहों पर रिडंडेंट और 100 जीबीपीएस चुनौतियों के लिए तैयार।

Point of View

जो न केवल भारतीय दूरसंचार सेवा के इतिहास को उजागर करता है, बल्कि डिजिटल इंडिया की प्रगति में आईटीएस के योगदान को भी दर्शाता है। यह तथ्य कि हम टेलीग्राफ से डिजिटल युग तक पहुँच गए हैं, एक बड़ी उपलब्धि है। यह तकनीकी विकास और सामाजिक समावेशिता के लिए एक नई दिशा प्रदान करता है, और हमें एकजुटता और समर्पण से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) का क्या महत्व है?
आईटीएस ने देश के डिजिटल विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो संचार और नेटवर्किंग की रीढ़ है।
डिजिटल इंडिया की यात्रा में आईटीएस का योगदान क्या है?
आईटीएस ने डिजिटल इंडिया की उपलब्धियों को संभव बनाने के लिए तकनीकी और प्रबंधकीय उत्कृष्टता प्रदान की है।
उपराष्ट्रपति ने समारोह में क्या कहा?
उपराष्ट्रपति ने टेलीग्राफ से डिजिटल युग तक भारत की यात्रा का जश्न मनाने और आईटीएस के योगदान की सराहना की।
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