क्या 'आई लव मोहम्मद' कहना हमारा अधिकार है? मौलाना कल्बे जवाद का बयान

सारांश
Key Takeaways
- आई लव मोहम्मद कहने का अधिकार सभी को है।
- धार्मिक नारे व्यक्तिगत आस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- राजनीतिक हस्तक्षेप से धार्मिक अभियानों का स्वरूप बदल सकता है।
- भ्रष्टाचार के आरोपों से सामाजिक विश्वास को धक्का लगता है।
- सभी समुदायों को समान अधिकार मिलना चाहिए।
लखनऊ, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में मौलाना कल्बे जवाद ने शुक्रवार को ‘आई लव मोहम्मद’ कहने को अपना अधिकार बताया। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ‘आई लव मोहम्मद’ एक धार्मिक अभियान था, जिसे धार्मिक व्यक्तियों ने आरंभ किया था, लेकिन यह खेद की बात है कि अब इसमें कुछ राजनीतिक प्रवृत्ति के लोग शामिल हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि यदि मुस्लिम समुदाय के लोग ‘आई लव मोहम्मद’ कह रहे हैं, तो निश्चित रूप से हिंदू समुदाय के लोग ‘आई लव राम’ कह सकते हैं। कोई ‘आई लव कृष्ण’ कह सकता है, तो कोई ‘आई लव शैतान’ भी कह सकता है। हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है। लोग अपनी आस्था के अनुसार जो चाहे, उसका नारा लगा सकते हैं। लेकिन, अब जिस प्रकार ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान में राजनीतिक प्रवृत्ति के लोग शामिल हो चुके हैं, उसकी हम खुले शब्दों में निंदा करते हैं। इस स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी कि जिस तरह से आई लव मोहम्मद अभियान में राजनीतिक लोग शामिल होकर इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं, अब हम वैसा नहीं होने देंगे।
वहीं, आजम खान के मामले पर मौलाना ने कहा कि यदि सच में सरकार ने उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए होते, तो वह कभी सलाखों से बाहर नहीं आ पाता। उसे तो छोटे-मोटे मुकदमे दर्ज किए गए। इस कारण वह बाहर आ सका।
साथ ही, हुसैनाबाद ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि हुसैनाबाद ट्रस्ट के आय के उचित स्रोत की जानकारी जिलाधिकारी नहीं देते हैं। ये सभी लोग पैसे खा जाते हैं। ये लोग अब करोड़ों रुपये खा चुके हैं। इस ट्रस्ट की आमदनी कहां जा रही है, इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसमें कई अधिकारी शामिल होते हैं। अधिकारी यहां अपनी नियुक्ति के लिए लालायित रहते हैं। ये सभी अधिकारी सारा पैसा खा जाते हैं।