जगन्नाथ पुरी मंदिर में प्रेमी जोड़ों का प्रवेश क्यों वर्जित है?
सारांश
Key Takeaways
- जगन्नाथ मंदिर में अविवाहित जोड़ों का प्रवेश वर्जित है।
- यह परंपरा राधा रानी के श्राप से जुड़ी हुई है।
- पुजारियों द्वारा इस नियम का पालन किया जाता है।
- विवाहित जोड़े इस मंदिर में जा सकते हैं।
- यह परंपरा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पुरी, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर अपनी विशालता, ऐतिहासिक महत्व और परंपराओं के लिए विश्वभर में मशहूर है, लेकिन यहाँ कुछ ऐसे रहस्य भी हैं, जिन्हें जानकर लोग चौंक जाते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण रहस्य है कि अविवाहित जोड़ों का मंदिर में प्रवेश वर्जित है। चाहे वे प्रेमी-प्रेमिका हों या किसी रिश्ते की बात चल रही हो, लेकिन विवाह नहीं हुआ हो, ऐसे सभी जोड़े मंदिर में नहीं जा सकते। यह सुनकर किसी को भी लगेगा कि शायद इसके पीछे कोई सामाजिक नियम है, लेकिन असली कारण इससे बिलकुल अलग है और यह एक पौराणिक कथा से जुड़ा है।
कहानी के अनुसार, एक बार राधा रानी श्रीकृष्ण के जगन्नाथ स्वरूप के दर्शन के लिए पुरी आईं। जब वे मंदिर के भीतर प्रवेश करने लगीं, तो वहां के पुजारियों ने उन्हें रोक दिया।
राधा जी ने हैरान होकर पूछा कि उन्हें क्यों रोका जा रहा है? पुजारियों ने कहा कि वे श्रीकृष्ण की प्रेमिका हैं और जगन्नाथ मंदिर में भगवान की पत्नियों को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। ऐसे में राधा रानी का प्रवेश भी संभव नहीं है।
यह सुनकर राधा रानी बहुत दुखी और क्रोधित हुईं। कहा जाता है कि उन्होंने उसी समय श्राप दे दिया कि अब से इस मंदिर में कोई भी अविवाहित जोड़ा प्रवेश नहीं कर सकेगा। जो भी अविवाहित जोड़ा यहाँ आएगा, वह अपने प्रेम में कभी सफल नहीं होगा।
इसी कारण से यह नियम चलन में आया और आज तक बना हुआ है। पुरी जगन्नाथ मंदिर के पुजारी और प्रशासन इस परंपरा का पालन श्रद्धा के साथ करते हैं। यदि कोई अविवाहित जोड़ा मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश करता है, तो उन्हें वापस भेज दिया जाता है।
हालांकि यह परंपरा अनोखी लगती है, लेकिन पुरी के लोग इसे भगवान और राधा रानी की इच्छा मानकर पूरी श्रद्धा से निभाते हैं।