क्या जैन मुनि ने मुंबई में कबूतरखाना बंद करने के खिलाफ आवाज उठाई?
सारांश
Key Takeaways
- जैन समाज का कबूतरों और जीवों के प्रति संवेदनशीलता।
- मुख्यमंत्री से पुनर्विचार की अपील।
- बीएमसी का निर्णय और उसका प्रभाव।
- सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता।
- बाबरी मस्जिद पर जैन मुनि का बयान।
मुंबई, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जैन मुनि महाराज निलेश चंद्र ने मुंबई में कबूतरखाना बंद करने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस मुद्दे पर तुरंत ध्यान देने और निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की।
जैन समाज की नाराज़गी को लेकर जैन मुनि महाराज निलेश चंद्र ने कहा, "पिछले चार महीनों से जैन समाज कबूतरों और अन्य जीवों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। मेन्का गांधी ने भी इसे अन्याय करार दिया था। समाज ने प्रशासन को 15 दिन का समय दिया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कबूतर, कुत्ते और गाय समेत सभी जीवों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए जैन समाज ने आवाज उठाई है।"
उन्होंने आगे कहा, "मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस पर ध्यान देना चाहिए। उचित निर्णय लें, अन्यथा जैन समाज का आप पर से विश्वास उठ सकता है।"
ज्ञातव्य है कि मुंबई में कबूतरखाना बंद करने का विरोध कई महीनों से चल रहा है। जैन मुनि महाराज निलेश चंद्र ने बीएमसी के खिलाफ अनशन भी किया है।
बीएमसी ने जुलाई में दादर और मुंबई के 51 कबूतरखाने बंद करने का निर्णय लिया था। इसका कारण कबूतरों की बीट से फैलने वाली श्वसन बीमारियों और आसपास के निवासियों में फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं बताई गई थीं। हालाँकि, यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट तक पहुँच गया था, जिसके बाद एक समिति का गठन किया गया था।
इस बीच, जैन मुनि महाराज निलेश चंद्र ने पश्चिम बंगाल में 'बाबरी मस्जिद' की नींव रखे जाने के मुद्दे पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "जैन समाज सनातन परंपरा से जुड़ा हुआ है। हम हमेशा राम के साथ रहेंगे। यहाँ बाबरी मस्जिद नहीं बनने दी जाएगी। बाबर यहाँ का नहीं था।"
उन्होंने कहा, "यह देश छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप और गुरु गोविंद सिंह का है। बाबर यहाँ का नहीं था। वह देश को लूटता रहा। उनके समर्थकों को यहाँ से भगाया जाएगा।"
निलेश चंद्र ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।