क्या जम्मू-कश्मीर ने नई नियति, नई पहचान और नए सपने गढ़े हैं? : एलजी मनोज सिन्हा
सारांश
Key Takeaways
- जम्मू-कश्मीर ने पिछले 5 वर्षों में बड़ा बुनियादी ढांचा विकसित किया है।
- युवाओं को विकास में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
- अनुसंधान और स्टार्टअप में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
- आतंकवाद जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए एक बड़ा दुश्मन है।
- जम्मू-कश्मीर ने अपनी नई नियति और पहचान बनाई है।
श्रीनगर, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को कहा कि हमने पिछले 5 वर्षों में एक विशाल बुनियादी ढांचा खड़ा किया है और अब युवा पेशेवरों को जम्मू-कश्मीर की किस्मत बदलने के लिए विकास रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले 5-6 वर्षों में मानव पूंजी, अनुसंधान एवं विकास, इनक्यूबेशन केंद्रों और विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे में किया गया भारी निवेश जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा।
उपराज्यपाल इस्लामिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आईयूएसटी) के स्थापना दिवस समारोह के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर एलजी ने आईयूएसटी इनॉवेशन कैंपस और आईयूएसटी मुख्य परिसर, अवंतीपोरा में एक नए प्रशासनिक खंड का उद्घाटन किया।
उन्होंने 2021 से आईयूएसटी में हुए परिवर्तनों और नामांकन, स्टार्टअप इनक्यूबेशन, स्थिरता, अनुसंधान और नवाचार में विश्वविद्यालय द्वारा हासिल की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। 2021 से 2025 के बीच शैक्षणिक कार्यक्रम 41 से बढ़कर 90 हो गए, जो एआई, रोबोटिक्स, डिजाइन योर ओन डिग्री, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, डेटा विज्ञान, और अप्रेंटिसशिप आधारित यूजी स्तर के कौशल पाठ्यक्रम जैसे अंतःविषय और अत्याधुनिक पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
उपराज्यपाल ने बताया कि विभिन्न विषयों में आवेदन 2021 में 3,000 से बढ़कर 2025 में 7,600 हो गए हैं, जिसमें जम्मू-कश्मीर और उसके बाहर से विविधता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि 2021 से पहले अनुसंधान के लिए आईयूएसटी का बाहरी वित्त पोषण केवल 2 करोड़ रुपए सालाना था। 4 वर्षों में अनुसंधान के लिए 69 करोड़ रुपए से अधिक का बाहरी वित्त पोषण प्राप्त किया गया।
उन्होंने आगे कहा कि 2021 में एक 'शून्य' स्टार्ट-अप से विश्वविद्यालय पिछले चार वर्षों में 93 स्टार्ट-अप को इनक्यूबेट करने, 225 से अधिक इनक्यूबेटी की मेजबानी करने और नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और आईटी में पुरस्कार विजेता नवाचारों को पोषित करने तक बढ़ गया है। 32 पेटेंट प्रदान किए गए, 77 पेटेंट प्रकाशित हुए और 33 और दायर किए गए। इसके अतिरिक्त, दो संकाय अपने क्षेत्र में शीर्ष भारतीय वैज्ञानिकों में शुमार हुए, जो आईयूएसटी के लिए गर्व की बात है।
उपराज्यपाल ने आईयूएसटी को कम लागत वाले ऊर्जा-अनुकूल घरों के विकास में अनुसंधान और नवाचार के निर्देश दिए। उन्होंने विश्वविद्यालय से सड़क और भवन निर्माण सामग्री के प्रभावी पुन: उपयोग और अधिक टिकाऊ सड़कों के लिए कोल्ड-मिक्स तकनीक को बढ़ावा देने के तरीकों पर विचार करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि आईयूएसटी को पारंपरिक सिग्नल टावरों पर निर्भर हुए बिना दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए संचार प्रौद्योगिकी के नवीन समाधान भी प्रदान करने चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद तीन दशकों से भी अधिक समय से जम्मू-कश्मीर के युवाओं का सबसे बड़ा दुश्मन रहा है और इसने उनके सपनों और आकांक्षाओं को नष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब हमारे युवा और युवा पेशेवर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं और अपनी आकांक्षाओं को प्राप्त कर रहे हैं।
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि हालांकि, हमारा पड़ोसी देश और यहां बैठे उनके कुछ आतंकवादी तत्व इस प्रगति को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति सतर्क रहना चाहिए और उनके प्रयासों को विफल करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। जम्मू कश्मीर ने अपनी नई नियति, एक नई पहचान और नए सपने बुने हैं। इसे हर कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए और हमारे युवाओं के सपनों को चकनाचूर करने की कोशिश करने वालों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।