क्या झारखंड के चतरा जिले में सीसीएल की परियोजनाओं से कोयले की ट्रांसपोर्टिंग ठप है?
सारांश
Key Takeaways
- हड़ताल के कारण कोयले की ट्रांसपोर्टिंग ठप हुई है।
- पुलिस द्वारा अवैध वसूली के खिलाफ संचालक एकजुट हुए हैं।
- राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
- हड़ताल का प्रभाव एनटीपीसी के पावर प्लांट पर पड़ेगा।
- संचालकों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने का निर्णय लिया है।
चतरा, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के चतरा जिले में सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) की आम्रपाली और चंद्रगुप्त कोल परियोजनाओं में कोयले की रोड ट्रांसपोर्टिंग पिछले सात दिनों से ठप है। इन परियोजनाओं से कोयले की ढुलाई करने वाले हाइवा (ट्रक) संचालक, जिले की पुलिस द्वारा कथित अवैध वसूली के विरोध में 12 नवंबर से हड़ताल पर हैं।
कोयले की ट्रांसपोर्टिंग ठप होने से सीसीएल के साथ-साथ राज्य सरकार को हर दिन पर्याप्त राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि यह हड़ताल लंबी चली, तो एनटीपीसी के कई पावर प्लांट में कोयले का संकट उत्पन्न हो सकता है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि जिले के टंडवा-सिमरिया रोड के खधैया क्षेत्र में पुलिस द्वारा प्रत्येक हाइवा से पांच से दस हजार रुपए तक की वसूली की जाती है।
हाइवा मालिकों के अनुसार, पुलिस रात में गाड़ियों को रोककर खराब लाइट, ओवरलाइट, खराब तिरपाल और स्पीड मीटर खोलकर चलाने जैसे मनगढ़ंत आरोप लगाती है और इसके एवज में नकद वसूली करती है। इन परियोजनाओं से प्रतिदिन लगभग 60,000 टन कोयले की ढुलाई होती है। केरेडारी स्थित चट्टी बारियातू खदान से 15 हजार टन, आम्रपाली से 15 हजार टन, कटकमसांडी से 12 हजार टन, केडी माइंस पांडु से 6 हजार टन, टोरी से 5 हजार टन, डकरा से 3 हजार टन, आरसीआर से 2 हजार टन और मगध से 1,000 टन कोयले की ट्रांसपोर्टिंग सड़क मार्ग से होती है।
हड़ताल के कारण ट्रांसपोर्टिंग पूरी तरह ठप है। आंदोलन के तहत ट्रांसपोर्टर्स ने रविवार को केरेडारी के चुंदरु धाम मैदान में बैठक की। उन्होंने कहा कि वे बेवजह जुर्माने और केस दर्ज किए जाने के डर से त्रस्त हैं और मजबूर होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल करनी पड़ी है। उन्होंने इस मुद्दे पर सीधे मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया।
झारखंड के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मुद्दे को लेकर सोमवार को सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा की जा रही अवैध वसूली का तय हिस्सा सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंचता है। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता अपराधियों से ज्यादा वर्दीधारी गुंडों से किस तरह त्रस्त है, यह उसका जीवंत उदाहरण है।