क्या झारखंड में नगर निकाय के चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं? हाईकोर्ट की कड़ी नाराजगी

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क्या झारखंड में नगर निकाय के चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं? हाईकोर्ट की कड़ी नाराजगी

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनावों के अदालती आदेश की अवहेलना पर कड़ी नाराजगी जताई है। मुख्य सचिव व नगर विकास सचिव को सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। क्या राज्य सरकार चुनावों का आयोजन कर पाएगी?

Key Takeaways

  • झारखंड हाईकोर्ट ने चुनावों की अवहेलना पर कड़ी नाराजगी जताई।
  • मुख्य सचिव को १० सितंबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया।
  • राज्य में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा चुनावों में देरी का कारण बना।
  • नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल २०२३ में समाप्त हो चुका है।
  • सरकारी प्रशासकों के हाथों में नगर निकायों का प्रबंधन सौंपा गया है।

रांची, २ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकायों के चुनाव कराने के अदालती आदेश की अवहेलना पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। मंगलवार को इससे संबंधित अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर राज्य के मुख्य सचिव एवं नगर विकास सचिव सशरीर उपस्थित हुए।

जस्टिस आनंदा सेन की पीठ ने कहा कि अदालत के आदेश की लगातार अवहेलना की जा रही है, ऐसे में क्यों नहीं मुख्य सचिव के विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए?

कोर्ट ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई के लिए १० सितंबर की तारीख निर्धारित की है। मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया कि अगली सुनवाई के दौरान वे नगर निकाय के चुनाव को लेकर टाइमलाइन निर्धारित कर अदालत में प्रस्तुत करें।

इसके पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने सरकार के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्य प्रशासन न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर ‘रूल ऑफ लॉ’ की धज्जियां उड़ा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है।

जस्टिस आनंदा सेन की बेंच ने रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद ४ जनवरी २०२४ को निर्देश दिया था कि राज्य के सभी नगर निकायों के चुनाव तीन सप्ताह के भीतर कराए जाएं। इस आदेश का आज तक अनुपालन नहीं हुआ है। इसे लेकर अब कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है।

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत में दलीलें पेश करते हुए कोर्ट से इस मामले में कार्रवाई की मांग की।

झारखंड के सभी नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल २०२३ में समाप्त हो चुका है। २७ अप्रैल २०२३ तक नए चुनाव कराने थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया करीब एक साल पहले शुरू की है, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है।

अप्रैल २०२३ के बाद से राज्य के सभी नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद और नगर पंचायतों का प्रबंधन सरकारी प्रशासकों के हाथों में सौंप दिया गया है। पिछले करीब दो वर्षों से निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं रह गई है।

Point of View

बल्कि यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि सभी राज्यों में चुनाव समय पर और पारदर्शी तरीके से हो ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बना रहे।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड में नगर निकाय चुनाव कब होने हैं?
नागरिक निकाय चुनावों का आयोजन अप्रैल २०२३ में होना था, लेकिन अब तक चुनाव नहीं कराए गए हैं।
क्यों हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को हाजिर होने का आदेश दिया?
हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनावों के अदालती आदेश की अवहेलना पर मुख्य सचिव को हाजिर होने का आदेश दिया है।
क्या ओबीसी आरक्षण चुनावों में बाधा डाल रहा है?
जी हां, राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने के लिए प्रक्रिया शुरू की है, जो चुनावों में देरी का कारण बनी है।