क्या झारखंड में वांटेड नक्सली दंपती ने आत्मसमर्पण किया?

सारांश
Key Takeaways
- गिरिडीह में वांटेड नक्सली दंपती का आत्मसमर्पण एक महत्वपूर्ण घटना है।
- शिवलाल और सरिता ने नक्सली जीवन को छोड़ने का निर्णय लिया।
- दोनों को पुनर्वास नीति के तहत लाभ मिलेगा।
- आत्मसमर्पण से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूती मिलेगी।
- यह घटना समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है।
गिरिडीह, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कई वारदातों में वांटेड भाकपा (माओवादी) नक्सली शिवलाल हेम्ब्रम उर्फ शिवा और उनकी पत्नी सरिता हांसदा उर्फ उर्मिला ने बुधवार को झारखंड के गिरिडीह जिले में पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस के अनुसार, शिवलाल हेम्ब्रम (25 वर्ष) मधुबन थाना क्षेत्र के टेसाफुली गांव का निवासी है और वह संगठन में एरिया कमेटी सदस्य के रूप में सक्रिय था। उसकी पत्नी सरिता हांसदा (19 वर्ष), खुखरा थाना क्षेत्र के चतरो गांव की निवासी है और नक्सली दस्ते की सदस्य थी। पुलिस के अनुसार, शिवलाल के खिलाफ गिरिडीह, डुमरी, खुखरा, मधुबन, चतरोचट्टी और जगेश्वर विहार थाना क्षेत्रों में हत्या, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, यूएपीए और आर्म्स एक्ट से संबंधित कुल 11 मामले दर्ज हैं।
सरिता के विरुद्ध भी कई नक्सली मामलों में प्राथमिकी दर्ज हैं। शिवलाल वर्ष 2017 में माओवादी संगठन से जुड़ा था। उसे एक करोड़ के इनामी माओवादी कमांडर करम दा उर्फ विवेक का अंगरक्षक बनाया गया। वर्ष 2022 में उसे एरिया कमेटी सदस्य के पद पर पदोन्नत किया गया। पुलिस के मुताबिक, वह विस्फोटक और हथियार छुपाने, ग्रामीणों से लेवी वसूली और पुलिस बलों पर हमले जैसी कई नक्सली गतिविधियों में शामिल रहा है।
सरिता हांसदा वर्ष 2020 में नक्सली संगठन में शामिल हुई थी। उसे महिला माओवादी जया दी ने संगठन में भर्ती कराया था। वर्ष 2024 में सरिता और शिवलाल ने संगठन में रहते हुए विवाह किया। पुलिस के अनुसार, संगठन के शीर्ष कमांडरों द्वारा शोषण और ग्रामीणों पर अत्याचार से परेशान होकर दोनों ने संगठन छोड़ने का निर्णय लिया।
गिरिडीह पुलिस लगातार दोनों के परिजनों के संपर्क में थी और उन्हें आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित कर रही थी। आत्मसमर्पण के बाद दोनों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिया जाएगा। गिरिडीह के पुलिस अधीक्षक ने सभी सक्रिय माओवादियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील की है।