क्या जोधपुर के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही भगवा वैरायटी?
सारांश
Key Takeaways
- काजरी का प्रयास किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
- भगवा अनार की नई प्रजातियाँ किसानों को लाभ दे रही हैं।
- अनार की खेती में उन्नत तकनीक का महत्व है।
जोधपुर, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जोधपुर में स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) किसानों की आमदनी बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। इसी दिशा में काजरी की पहल पश्चिमी राजस्थान के कृषक समुदाय के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है।
हाल ही में संस्थान द्वारा विकसित की गई भगवा वैरायटी और सुपर भगवा अनार की प्रजाति किसानों के लिए आय का एक नया स्रोत बन गई है। इन प्रजातियों को उगाने के लिए संस्थान की ओर से विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें किसानों को अनार की उन्नत खेती तकनीकों से अवगत कराया जा रहा है।
काजरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश मीणा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि अनार पर एक विशेष प्रोजेक्ट के तहत शोध 2010 से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में अनार की खेती का बढ़ता विस्तार किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना अधिक लाभ दे रहा है। कई स्थानों पर किसानों की आमदनी दोगुनी नहीं, बल्कि दस गुना तक बढ़ गई है।
डॉ. मीणा ने बताया कि विशेष रूप से वे क्षेत्र जहां पानी खारा होता है, वहां अनार की पैदावार अत्यधिक अच्छी होती है। भगवा और सुपर भगवा जैसी किस्मों को रेडिएशन तकनीक से विकसित किया गया है, जबकि प्लांटिंग मटेरियल के रूप में टिश्यू कल्चर आधारित पौधों की मांग तेजी से बढ़ी है।
डॉ. मीणा ने कहा कि अनार को 'लाल सोना' कहा जाता है, क्योंकि कम इनपुट लागत में उच्च गुणवत्ता की पैदावार लेकर यह किसानों की आमदनी का मजबूत स्रोत बन चुका है। सरकारी संस्था होने के नाते काजरी का लक्ष्य है कि किसानों की लागत कम हो और उत्पादन गुणवत्ता बेहतर हो। इसी उद्देश्य से किसानों को खेती में की जाने वाली गलतियों से बचने के लिए मार्गदर्शन दिया जाता है। विशेषज्ञ उन्हें वाटर मैनेजमेंट, न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट और अन्य कृषि प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं, ताकि किसान इन सभी तकनीकों को अपनाकर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें।
काजरी की इन पहलों ने पश्चिमी राजस्थान में अनार की खेती को नई पहचान दी है और किसानों के लिए आर्थिक सशक्तीकरण के नए रास्ते खोल दिए हैं।