क्या कर्नाटक द्वारा अलमट्टी बांध की ऊंचाई बढ़ाने पर चंद्रबाबू नायडू की चुप्पी उचित है?

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क्या कर्नाटक द्वारा अलमट्टी बांध की ऊंचाई बढ़ाने पर चंद्रबाबू नायडू की चुप्पी उचित है?

सारांश

अमरावती, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने एन. चंद्रबाबू नायडू पर आंध्र प्रदेश के हितों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। जानिए इस विवाद के पीछे की सच्चाई और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • कर्नाटक सरकार ने अलमट्टी बांध की ऊंचाई बढ़ाई है।
  • आंध्र प्रदेश के लिए यह एक गंभीर खतरा है।
  • जगन मोहन रेड्डी ने नायडू की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं।
  • सिंचाई और पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • राज्य के अधिकारों की रक्षा आवश्यक है।

अमरावती, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने बुधवार को मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू पर आंध्र प्रदेश के हितों की पूरी तरह से उपेक्षा करने का आरोप लगाया।

जगन मोहन रेड्डी ने बताया कि कर्नाटक मंत्रिमंडल ने 16 सितंबर को अलमट्टी के जल भंडारण को 519 मीटर से बढ़ाकर 524.256 मीटर करने को मंजूरी दी थी, जिससे 70,000 करोड़ रुपए के बजट के साथ इसकी क्षमता 129.72 टीएमसी से बढ़कर 279.72 टीएमसी हो गई।

उन्होंने सवाल किया, "आंध्र प्रदेश की सिंचाई और पेयजल आवश्यकताओं के लिए इस गंभीर खतरे के बावजूद, दो सप्ताह बाद भी, चंद्रबाबू नायडू ने कोई कार्रवाई नहीं की है। पूरा क्षेत्र पानी के बिना बंजर होने के खतरे का सामना कर रहा है। यदि आप राज्य के अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकते, तो मुख्यमंत्री का पद क्यों संभाले हुए हैं?"

वाईएसआरसीपी नेता ने याद दिलाया कि नायडू के पिछले कार्यकाल (1995-2004) के दौरान, जब उन्होंने केंद्र में अपने प्रभाव का बखान किया था, कर्नाटक ने स्पिलवे और गेट का काम पूरा किया जिससे अलमट्टी का विस्तार संभव हुआ, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी ऊंचाई 519 मीटर तय की थी। वाईएस जगन ने कहा, "आपकी पिछली नाकामियों ने पहले ही भारी नुकसान पहुंचाया है और आज इतिहास खुद को दोहरा रहा है।"

पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ढाई दशकों से भी अधिक समय से, अलमट्टी की ऊंचाई में वृद्धि का सूखे के वर्षों में विनाशकारी प्रभाव पड़ा है, जिससे आंध्र प्रदेश सिंचाई और पीने के पानी दोनों से वंचित रहा है। उन्होंने कहा, "साल दर साल, आपकी निष्क्रियता के कारण हमारे किसानों और लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है।"

कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-II का हवाला देते हुए, वाईएस जगन ने कहा कि आंध्र प्रदेश की दलीलें कमजोर और अप्रभावी तरीके से पेश की जा रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि 75 प्रतिशत निर्भरता का फॉर्मूला अपनाने से राज्य को अपूरणीय क्षति होगी, क्योंकि सूखे के वर्षों में आंध्र प्रदेश को जल प्रवाह की कमी का सामना करना पड़ेगा और साथ ही निचले तटवर्ती राज्य होने के नाते बाढ़ का भी दंश झेलना पड़ेगा।

—राष्ट्र प्रेस

एससीएच

Point of View

हमारा यह मानना है कि सभी राज्यों के बीच जल वितरण का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। इस प्रकार के मुद्दे केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक भी हैं।
NationPress
01/10/2025

Frequently Asked Questions

कर्नाटक द्वारा अलमट्टी बांध की ऊंचाई बढ़ाने का क्या प्रभाव होगा?
यह आंध्र प्रदेश की सिंचाई और पेयजल आवश्यकताओं पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
चंद्रबाबू नायडू की चुप्पी का क्या मतलब है?
यह राज्य के अधिकारों की रक्षा में उनकी निष्क्रियता को दर्शाता है।
वाईएस जगन का आरोप क्या है?
उन्होंने नायडू पर आंध्र प्रदेश के हितों की उपेक्षा का आरोप लगाया है।