क्या कठुआ में आपदा के बाद बीआरओ ने त्वरित कार्रवाई की?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- सीमा सड़क संगठन ने आपदा के समय त्वरित कार्रवाई की।
- पेडू नाला मार्ग की बहाली ने स्थानीय लोगों को राहत दी।
- भूस्खलन और मलबे को हटाने के लिए बीआरओ ने प्रभावी तरीके से काम किया।
- महानपुर से रणजीत सागर डैम के बीच का महत्वपूर्ण मार्ग फिर से जुड़ गया।
- कठुआ की घटना ने बीआरओ की तकनीकी क्षमता को उजागर किया।
कठुआ, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में 17 अगस्त को हुई बादल फटने की गंभीर घटना के बाद, महानपुर के निकट स्थित पेडू नाले पर बना पुल और निर्माणाधीन नया पुल भूस्खलन और मलबे के कारण बह गया। इस आपदा ने रणजीत सागर डैम से महानपुर के बीच का महत्वपूर्ण मार्ग पूरी तरह से बंद कर दिया, जिससे यातायात ठप हो गया।
लगातार बारिश, मलबे का भारी जमाव, क्षतिग्रस्त पुल के टुकड़ों का चारों ओर फैला होना और वैकल्पिक सड़कों के भी बंद होने से स्थिति अत्यंत चुनौतीपूर्ण हो गई थी। इस मुश्किल समय में, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट संपर्क की 69 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी (आरसीसी) ने कमांडर एसके सिंह और कमांडर 35 बॉर्डर रोड्स टास्क फोर्स (बीआरटीएफ), उधमपुर के नेतृत्व में एक व्यापक बहाली अभियान शुरु किया।
साइट पर असिस्टेंट इंजीनियर सुरेंद्रन के निर्देशन में, टीम ने भारी मशीनरी और खुदाई यंत्रों की सहायता से सड़क तक पहुंच बनाई। इसके बाद भूस्खलन से गिरे मलबे को हटाया गया और जलधारा को नियंत्रित करने के लिए बहाव को मोड़ा गया। क्षेत्र को स्थिर करने और सड़क मार्ग को बहाल करने के लिए बॉक्स कल्वर्ट का निर्माण और ह्यूम पाइप स्थापित करते हुए गेबियन दीवारों का निर्माण किया गया।
13 सितंबर की शाम तक मार्ग को भारी वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया। इससे बिलावर, कठुआ और धार के बीच का महत्वपूर्ण संपर्क फिर से स्थापित हुआ, जिससे स्थानीय लोगों और प्रशासन को बड़ी राहत मिली।
प्रोजेक्ट संपर्क के चीफ इंजीनियर ने टीम 69 आरसीसी की सराहना करते हुए कहा कि विपरीत मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों में जिस समर्पण और पेशेवर दक्षता के साथ काम किया गया, वह सीमा सड़क संगठन की उत्कृष्टता और राष्ट्र-निर्माण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
जम्मू रक्षा मंत्रालय के पीआरओ और प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने कहा कि इस त्वरित कार्रवाई ने न केवल बीआरओ की तकनीकी क्षमता को दर्शाया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि सीमावर्ती और दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की मजबूती और नागरिकों की सुविधा के लिए संगठन हमेशा तत्पर है।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            