क्या केंद्र सरकार नाबालिगों के लिए इंटरनेट पर पोर्न वीडियो पर प्रतिबंध लगाएगी: मद्रास हाईकोर्ट?

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क्या केंद्र सरकार नाबालिगों के लिए इंटरनेट पर पोर्न वीडियो पर प्रतिबंध लगाएगी: मद्रास हाईकोर्ट?

सारांश

मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इंटरनेट पर पोर्न वीडियो पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है। क्या यह कदम बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है? जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर और कैसे ऑस्ट्रेलिया ने इस दिशा में कदम उठाए हैं।

Key Takeaways

  • मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है।
  • बच्चों की सुरक्षा के लिए तकनीकी उपाय आवश्यक हैं।
  • जागरूकता कार्यक्रमों की संख्या को बढ़ाने की जरूरत है।
  • ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण हमारे लिए प्रेरणादायक है।
  • सरकार को ठोस नीतियाँ बनानी चाहिए।

मद्रास, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह ऑस्ट्रेलिया के उदाहरण के अनुसार 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इंटरनेट पर पोर्नोग्राफिक वीडियो पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करे।

यह सुझाव एक जनहित याचिका के आधार पर दिया गया था, जिसे एस. विजयकुमार ने दायर किया था।

विजयकुमार ने अपनी याचिका में उल्लेख किया कि इंटरनेट पर पोर्नोग्राफिक सामग्री आसानी से उपलब्ध है, जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस प्रकार की सामग्री को रोकने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाना चाहिए और संबंधित सरकारी संस्थाओं को निर्देश जारी किए जाने चाहिए।

जस्टिस जी. जयचंद्रन और जस्टिस केके रामकृष्णन की बेंच ने सुनवाई के दौरान यह माना कि बच्चों को पोर्न वीडियो से संरक्षित करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील केपीएस पलानीवेल राजन ने यह तर्क किया कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को अश्लील सामग्री पर सख्त रोक लगाने के लिए तकनीकी उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत इस विषय पर ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।

वहीं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के संघ की ओर से पेश हुए वकील चेवनन मोहन ने तर्क दिया कि डिजिटल मीडिया इंटरमीडियरी दिशानिर्देशों के अनुसार उचित कदम उठाए जा रहे हैं और जब भी अश्लील सामग्री के बारे में शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो त्वरित कार्रवाई की जाती है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना राष्ट्रीय और राज्य बाल अधिकार आयोगों का प्राथमिक कर्तव्य है। हालांकि, कोर्ट ने यह मान लिया कि ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों की संख्या अक्सर बहुत कम होती है।

अंत में, कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऑस्ट्रेलिया जैसे उपायों पर विचार करने की अपील की और बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने की सिफारिश की।

ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया (जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक, यूट्यूब) पर अकाउंट बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसका उद्देश्य बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है।

Point of View

बल्कि समाज की नैतिक जिम्मेदारी से भी जुड़ा है। मद्रास हाईकोर्ट का यह कदम दर्शाता है कि हमारे न्यायालय बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह आवश्यक है कि सरकार इस दिशा में ठोस नीतियाँ बनाए और सुनिश्चित करे कि बच्चों को सुरक्षित ऑनलाइन माहौल मिले।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या पोर्नोग्राफिक सामग्री को रोकने के लिए कानून है?
जी हाँ, भारत में बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम जैसी कई कानून हैं जो बच्चों की सुरक्षा के लिए लागू हैं।
क्या ऑस्ट्रेलिया ने इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए हैं?
ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने पर प्रतिबंध लगाया है।
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