क्या केरल के सीएम विजयन ने कुवैत में मलयाली संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की?
सारांश
Key Takeaways
- कुवैत यात्रा का उद्देश्य केरल के विकास को बढ़ावा देना था।
- प्रवासी भाइयों के जीवन स्तर में सुधार के लिए सरकार की योजनाएँ।
- मलयाली संगठनों के साथ संवाद का महत्व।
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और उनकी सफलता।
- समुदाय के मुद्दों पर सरकार की प्रतिक्रिया।
कुवैत, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने अपने कुवैत दौरे के अंतिम दिन लोक केरल सभा और मलयालम मिशन द्वारा आयोजित प्रवासी मलयाली संगम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के पश्चात, उन्होंने मलयाली संगठनों के प्रतिनिधियों से एक महत्वपूर्ण मुलाकात की।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कुवैत यात्रा का दूसरा दिन केरल के विकास और प्रवासियों के कल्याण पर गहन चर्चाओं से भरा रहा। इस दौरान उन्होंने मलयाली संगठनों के प्रतिनिधियों और सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों के साथ एक बैठक की। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, "इस संक्षिप्त बैठक में प्रवासी भाइयों के जीवन स्तर में सुधार के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्हें आश्वासन दिया गया कि सरकार इस क्षेत्र में आवश्यक हस्तक्षेप करेगी।"
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बैठक में मुख्य सचिव ए. जयतिलक, मलयालम मिशन कुवैत चैप्टर के सचिव, और विभिन्न मलयाली संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
पिनाराई विजयन ने मलयाली संगम का उद्घाटन करने के बाद वहां उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मंसूरिया अल अरबी इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रवासी मलयाली लोगों की शानदार भागीदारी देखी गई। हमें केरल के विकास पर बोलने का अवसर प्राप्त हुआ और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद भी लिया।
इस कार्यक्रम के साथ, सीएम पिनाराई विजयन की कुवैत यात्रा संपन्न हुई। उन्होंने कहा, "मैं तीन दिनों में आतिथ्य सत्कार करने वालों और विभिन्न कार्यक्रमों के पीछे काम करने वालों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।"
इससे पहले, मुख्यमंत्री ने कुवैत में मलयाली संगठनों के प्रतिनिधियों और सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों से संवाद किया।
उन्होंने बताया कि प्रतिनिधियों ने बैठक में एयरलाइन सेवाओं से जुड़े मुद्दों को उठाया। इसके अतिरिक्त, एसआईआर पर भी विचार विमर्श हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा, "इस पर सरकार ने उत्तर दिया कि केरल में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच एसआईआर मुद्दे पर आम सहमति है कि इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए।"