क्या झारखंड के खूंटी में ध्वस्त पुल के दो माह पूरे होने पर ग्रामीणों ने केक काटकर विरोध जताया?

Click to start listening
क्या झारखंड के खूंटी में ध्वस्त पुल के दो माह पूरे होने पर ग्रामीणों ने केक काटकर विरोध जताया?

सारांश

खूंटी जिले में बनई नदी पर ध्वस्त पुल के दो महीने हो गए हैं। लोगों ने प्रशासन की नाकामी के खिलाफ केक काटकर अनोखा विरोध किया है। क्या प्रशासन इस समस्या का समाधान करेगा?

Key Takeaways

  • पुल का ध्वस्त होना स्थानीय लोगों के जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है।
  • राजनीतिक आश्वासन के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
  • ग्रामीणों का विरोध अनोखे तरीके से सामने आया है।
  • आपातकालीन सेवाओं में बाधा उत्पन्न हो रही है।
  • स्थानीय निवासियों की समस्याओं का समाधान बिना समय पर नहीं किया गया।

खूंटी, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के खूंटी जिले में बनई नदी पर स्थित पुल को ध्वस्त हुए अब दो महीने हो चुके हैं। न तो इसके पुनर्निर्माण की कोई प्रयास हुआ है, न पुल के समानांतर कोई डायवर्जन तैयार किया गया है। ऐसे में हर रोज समस्याओं का सामना कर रहे स्थानीय निवासियों ने प्रशासन और सरकार की नाकामी पर विरोध जताने का अनोखा तरीका अपनाया।

उन्होंने मंगलवार को पुल के करीब केक काटकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क पर उतरकर आंदोलन करने पर सरकार मुकदमा कर देगी, इसलिए यह विरोध का तरीका चुना गया है।

खूंटी-तोरपा-कोलेबिरा मार्ग पर स्थित यह पुल 19 जून को भारी बारिश के कारण ध्वस्त हो गया था। इसके बाद से इस सड़क पर आवागमन में बाधा आई है। इसका असर स्कूली बच्चों, किसानों, गर्भवती महिलाओं, मरीजों, व्यापारियों और वाहन चालकों पर सीधे तौर पर पड़ रहा है। बच्चों को नदी पार कर स्कूल जाना मुश्किल हो गया है। आपात स्थिति में मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पा रहे हैं। किसानों को खाद-बीज लाने और खेतों तक जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि व्यापारियों का धंधा भी ठप हो गया है।

पुल के ध्वस्त होने के बाद स्कूली बच्चे कई दिनों तक सीढ़ी लगाकर रास्ता पार करते थे। इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुई थीं। ग्रामीणों का कहना है कि पुल टूटने के बाद नेताओं ने मौके पर आकर आश्वासन दिया था।

विधायक राम सूर्या मुंडा ने तो डायवर्जन निर्माण का शिलान्यास भी किया था। कहा गया था कि जुलाई के पहले डायवर्जन तैयार हो जाएगा, लेकिन दो महीने बाद भी काम शुरू नहीं हो सका।

ग्रामीणों का कहना है कि अब तक केवल राजनीति हुई है, समाधान नहीं। नाराज ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि विभाग शीघ्र ही वैकल्पिक मार्ग का निर्माण नहीं करता, तो वे श्रमदान कर खुद सीमेंट की बोरियों से नदी पर अस्थायी रास्ता बनाएंगे ताकि चारपहिया वाहन भी गुजर सकें। उनका कहना है कि रोजमर्रा की समस्याओं ने जीवन को मुहाल कर दिया है और अब वे और इंतज़ार नहीं कर सकते।

Point of View

प्रशासन की नाकामी के कारण स्थानीय निवासियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे देश में विकास और प्रशासनिक पारदर्शिता की आवश्यकता को दर्शाता है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

पुल कब ध्वस्त हुआ?
पुल 19 जून को भारी बारिश के कारण ध्वस्त हुआ था।
ग्रामीणों ने विरोध कैसे जताया?
ग्रामीणों ने पुल के पास केक काटकर अपना विरोध जताया।
क्या प्रशासन ने कोई कार्रवाई की है?
अब तक प्रशासन ने पुल के पुनर्निर्माण या डायवर्जन निर्माण का कोई कार्य नहीं किया है।
इस पुल के ध्वस्त होने से कौन प्रभावित हुआ?
स्कूली बच्चे, किसान, गर्भवती महिलाएं, मरीज और व्यापारी सभी प्रभावित हुए हैं।
ग्रामीणों की अगली योजना क्या है?
ग्रामीणों ने कहा है कि यदि वैकल्पिक मार्ग का निर्माण नहीं किया गया, तो वे खुद अस्थायी रास्ता बनाएंगे।