क्या कृष्णा अल्लावरु पर लगे आरोपों की जांच होनी चाहिए?
सारांश
Key Takeaways
- कृष्णा अल्लावरु पर लगे आरोपों की गहनता से जांच होनी चाहिए।
- पूर्व कांग्रेस नेता शकील अहमद ने कांग्रेस के आंतरिक मुद्दों पर चिंता जताई।
- चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं।
पटना, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु पर टिकट बंटवारे के दौरान पैसे लेने के आरोपों पर पूर्व कांग्रेस नेता शकील अहमद ने कहा कि यदि आरोप लगाए गए हैं, तो इसकी गहनता से जांच होनी चाहिए। इसकी रिपोर्ट कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी को सौंपी जानी चाहिए।
उन्होंने एसआईआर, वोट चोरी, ईवीएम और बिहार में महागठबंधन की हार को लेकर समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत की। शकील अहमद ने कहा कि चुनाव आयोग कई कारणों से संदेह के घेरे में है। वोट चोरी और 65 लाख वोटरों के नाम हटाए जाने के दावों के बारे में, मैं ईवीएम में किसी गड़बड़ी पर टिप्पणी नहीं कर सकता। छेड़छाड़ के आरोप पहले भी लगे हैं, लेकिन इसके अलावा अगर 65 लाख लोगों के वोट गलत तरीके से हटाए गए थे, तो एक छोटे से हिस्से को भी विरोध करना चाहिए था।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बात हो रही है कि 65 लाख लोगों के वोट काटे गए। मैं उस वक्त बिहार में था, कांग्रेस का सदस्य था, लेकिन मैंने बिहार के किसी भी हिस्से में 65 लोगों को भी विरोध करते हुए नहीं देखा जो कहें कि वोट काटा गया। विपक्ष को चाहिए था कि ऐसे लोगों को एक साथ लाते और प्रोटेस्ट करते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने विधानसभा चुनाव के परिणाम पर कहा कि कुछ भी कहने से पहले मैं स्पष्ट कर दूं कि मैं अब कांग्रेस में नहीं हूं, इसलिए मैं पार्टी की ओर से कुछ नहीं कह सकता। हां, मैं कांग्रेस का शुभचिंतक हूं, लेकिन एक स्वतंत्र नागरिक होने के नाते स्वाभाविक रूप से यह हमारे लिए भी थोड़ा चौंकाने वाला है। हमारे गठबंधन का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। जब अंतिम मतदान पुनरीक्षण हुआ, तब भी मैं उस गठबंधन का सदस्य था, इसलिए परिणाम हमारे लिए भी कुछ चौंकाने वाले हैं। जहां तक चुनाव आयोग या ईवीएम में किसी गड़बड़ी के आरोपों का सवाल है, तो मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस और राजद को ज्यादा सीटें इसीलिए मिली थीं क्योंकि चिराग पासवान तब एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रहे थे और जदयू के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस बार चिराग एनडीए के साथ थे और इसका खामियाजा विपक्ष को उठाना पड़ा।
उन्होंने ओवैसी के मुसलमानों के डिप्टी सीएम वाले बयान पर कहा कि इसने मुसलमानों में संदेश फैलाया कि अगर तेजस्वी यादव सीएम बन सकते हैं तो मुसलमानों की ओर से डिप्टी सीएम क्यों नहीं। ओवैसी के बयान ने एक माहौल तो बनाया, इससे छिपाया नहीं जा सकता है।