क्या भगवान भरोसे चल रहा है बिहार, कानून-व्यवस्था हुई बर्बाद? : पप्पू यादव

सारांश
Key Takeaways
- बिहार की कानून-व्यवस्था गंभीर संकट में है।
- राजद नेता की हत्या ने सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।
- चुनाव के माहौल में राजनीतिक हत्याएँ बढ़ने की संभावना है।
- बिहार की राजनीतिक दिशा में बदलाव की आवश्यकता है।
- भारत की विदेश नीति भी कमजोर हो रही है।
नई दिल्ली, ११ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्णिया से लोकसभा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बिहार की राजधानी पटना में राजद नेता की हत्या को लेकर नीतीश सरकार से गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव का माहौल है, लेकिन राज्य भगवान भरोसे चल रहा है।
सांसद पप्पू यादव ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "सीवान में लाली यादव की हत्या कर दी गई। एक विकलांग व्यक्ति मुन्ना (जिनके दोनों पैर काम नहीं करते थे और उनकी पत्नी भी विकलांग थीं) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्हें पाँच गोलियाँ मारी गईं। मैं पूछता हूँ कि बिहार में कोई कानून-व्यवस्था बची है? सभी लोग चुनावी मोड में आ गए हैं, पूरे बिहार में चुनावी माहौल है और राज्य भगवान भरोसे चल रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, "इन घटनाओं के बाद बिहार में चुनाव के निष्पक्ष होने की संभावना नहीं है। मुझे लगता है कि बिहार में राजनीतिक हत्याएँ बढ़ जाएँगी और कौन किसे गोली मरवा देगा या खुद गोली चलवाएगा, ऐसा कुछ नहीं कहा जा सकता। नेताओं की स्थिति बहुत खराब है और सिस्टम धाराशायी हो गया है। बिहार में आम आदमी सुरक्षित नहीं है।"
महागठबंधन में सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री के चेहरे पर पप्पू यादव ने कहा, "किसी को भी यह कहने का अधिकार है कि मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री कौन होगा। लेकिन, आज मुद्दा नेतृत्व का नहीं है। असली मुद्दा एनडीए गठबंधन को हराना, भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करना और बिहार की राजनीतिक राह को सही दिशा में ले जाना है।"
भारत के पड़ोसी देशों के संबंध पर पप्पू यादव ने कहा, "पिछले ११ वर्षों में भारत की विदेश नीति कमजोर हुई है। हमारा पुराना मित्र रूस भी अब पहले जैसा साथ नहीं दे रहा। पहलगाम के बाद रूस ने हमारा खुलकर समर्थन नहीं किया, केवल इजरायल ही हमारे साथ मजबूती से खड़ा रहा। हमारे पड़ोसी देशों से भी रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं। चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव बना हुआ है, जबकि चीन ने नेपाल के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं। चीन नेपाल पर लगातार नजर रखे हुए है। इसके अलावा, पिछले ११ सालों में हम आंतरिक समस्याओं को सुलझाने में भी विफल रहे हैं, जिससे देश भीतरी कलह से जूझ रहा है।