क्या कांग्रेस और इंडी अलायंस बेबुनियाद बयानबाजी कर रहे हैं? : जयवीर सिंह
सारांश
Key Takeaways
- जयवीर सिंह ने कांग्रेस को बेबुनियाद बयान देने का आरोप लगाया।
- इंडी गठबंधन की राजनीति पर सवाल उठाए गए।
- भारत सरकार ने इंडिगो संकट पर ध्यान दिया है।
- स्कूलों के सिलेबस में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
- मदरसों को कानून का पालन करना आवश्यक है।
मैनपुरी, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता हुसैन दलवई के पीएम मोदी द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भगवद्गीता भेंट करने पर आपत्ति जताने पर यूपी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह ने जोरदार पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता और इंडी गठबंधन के सदस्य बेबुनियाद और बेतुकी बातें करते रहते हैं।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने पूरे देश का भरोसा खो दिया है। कभी ये भगवान राम को काल्पनिक बताते हैं, कभी सनातन संस्कृति पर हमले करते हैं और कभी बेतुकी बातें करते हैं। यही कारण है कि इस देश की जनता ने इन्हें अलग-थलग कर दिया है और सत्ता से हटा दिया है।
इंडिगो संकट पर मंत्री ने बताया कि भारत सरकार इस मामले पर ध्यान दे रही है और उन्हें कुछ समय दिया गया है। उन्हें निर्धारित समय के भीतर आवश्यक सुधार करने होंगे। यदि वे ऐसा करने में असफल रहते हैं, तो सरकार निश्चित रूप से उचित कार्रवाई करेगी।
उन्होंने टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखने पर कहा कि यदि कोई व्यक्ति निजी तौर पर कुछ निर्माण कर रहा है, तो यह सरकार का मामला नहीं है, बल्कि वह व्यक्ति या विधायक अपने खर्च पर कर रहा है। ऐसे मामलों में कानून का पालन करना उस व्यक्ति की जिम्मेदारी है। यदि कोई दिक्कत होती है, तो कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने प्रदेश की ममता सरकार को सनातन विरोधी करार दिया।
स्कूलों के सिलेबस में भगवद्गीता को शामिल करने के विषय पर उन्होंने कहा कि यह मामला भारत सरकार, खासकर मंत्रालय के अंतर्गत आता है। मंत्रालय समय-समय पर अलग-अलग समितियों का गठन करता है और उनकी रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेता है। शिक्षा के क्षेत्र में जो बदलाव हुए हैं, वे भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा हैं। जब भी समय आएगा, आवश्यक सुझावों को लागू किया जाना चाहिए और इस तरह के सुधार नियमित रूप से होते रहने चाहिए।
मदरसों में सीसीटीवी कैमरे को लेकर उन्होंने कहा कि विदेशों से चलाए जा रहे मदरसों को कानून का पालन करना होगा। सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, और उन्हें इसका पालन करना अनिवार्य है। संसद में भी ऐसे मामलों को नियंत्रित किया जा रहा है। मदरसे भारत के संविधान या कानूनों से बाहर नहीं हैं। देश में रहने वाले हर व्यक्ति को भारतीय कानूनों का पालन करना होगा, और यह उनकी जिम्मेदारी है।