क्या दिल्ली और आसपास के क्षेत्र प्रदूषण की राजधानी बन गए हैं? सांसद कुमारी शैलजा
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है।
- सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।
- प्रदूषण से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए।
- साफ हवा सभी का अधिकार है।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। सोमवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 500 के करीब पहुंच गया। इस पर कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्र प्रदूषण की राजधानी बन चुके हैं।
उन्होंने कहा कि बढ़ते प्रदूषण के कारण सभी लोग सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। मैं स्वयं कई बार इसका अनुभव कर चुकी हूं। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हम सभी की सेहत से जुड़ा मामला है। यहां रहने वाले लोग, बच्चे, बुजुर्ग, रोज काम पर जाने वाले लोग, पुलिस कर्मी, सब पर इसका सीधा प्रभाव पड़ रहा है। इस स्थिति में हर दिन बाहर निकलना कठिन हो गया है।
कुमारी शैलजा ने कहा कि यह केवल कुछ दिनों की समस्या नहीं है, बल्कि लंबे समय तक यह हमारी सेहत पर बहुत दुष्प्रभाव डालता है। फेफड़े, सांस लेने की क्षमता, आंखों और त्वचा की सेहत सभी प्रभावित हो रहे हैं। एक गंभीर चिंता का विषय यह है कि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। हवा की गुणवत्ता कितनी खराब है, लोगों की कितनी परेशानियां बढ़ रही हैं, ऐसा लगता है कि किसी को परवाह नहीं है। लोगों की आवाज़, उनके सुझाव, कोई चर्चा सही मायनों में काम नहीं आ रही है।
उन्होंने कहा कि हमें मिलकर इस मुद्दे को उठाना चाहिए। यदि सरकार गंभीर नहीं हुई, तो इन प्रयासों का प्रभाव बहुत सीमित रहेगा। हमें समझना होगा कि यह कोई राजनीतिक लड़ाई या व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है। यह हम सभी की जिंदगी और भविष्य से संबंधित है।
उन्होंने कहा कि हमें सरकार से यह अपेक्षा करनी चाहिए कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए सही दिशा में कदम उठाए। प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कदम, स्पष्ट नीतियां और लोगों की सेहत पर ध्यान देना आवश्यक है। हमें मिलकर सुझाव देने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर बच्चे, बुजुर्ग और काम करने वाले को साफ हवा मिले।