क्या इंडी गठबंधन के लोग ओछी राजनीति कर रहे हैं? : मंत्री जयवीर सिंह
सारांश
Key Takeaways
- इंडी गठबंधन की राजनीति पर सवाल उठाए गए हैं।
- जयवीर सिंह ने सनातन धर्म की महत्ता बताई।
- मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर कांग्रेस की आपत्ति संदिग्ध है।
लखनऊ, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री जयवीर सिंह ने शनिवार को इंडी गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह गठबंधन अपनी ओछी राजनीति करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। उन्हें जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं है। इंडी गठबंधन के लोग केवल सत्ता को हासिल करने की कोशिश में हैं।
जयवीर सिंह ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि वे बिल्कुल सही हैं। सनातन धर्म ही भारत की नींव है और इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। अतीत में भारत की सीमाएं काफी विस्तृत थीं, जिसे अखंड भारत के रूप में जाना जाता था। यह सीमाएं अफगानिस्तान तक फैली हुई थीं, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आया है।
मंत्री ने कहा कि अगर कोई राजनीतिक दल अपनी ओछी राजनीति के माध्यम से भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करने की कोशिश करता है, तो उसकी निंदा की जाएगी। हम किसी भी ऐसे तत्व को बर्दाश्त नहीं कर सकते जो देश के विकास में बाधा उत्पन्न करे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सनातन धर्म के प्रति आस्था किसी से छिपी नहीं है। यह वही कांग्रेस है जिसने रामसेतु को काल्पनिक करार दिया था। ऐसी स्थिति में हम उनसे सनातन धर्म का सम्मान करने की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राहुल गांधी जैसे सनातन विरोधी लोग इंडी गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं। अब देश की जनता इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी।
मंत्री ने मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) के विरोध पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत सभी फर्जी मतदाताओं को हटाया जा रहा है और उनकी जगह पात्र मतदाताओं के नाम जोड़े जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को तकलीफ क्यों हो रही है? क्या वे चाहते हैं कि अपात्र मतदाता सूची में बने रहें ताकि उन्हें राजनीतिक लाभ मिलता रहे?
उन्होंने कहा कि मेरा सवाल है कि अगर कांग्रेस को मतदाता सूची पुनरीक्षण पर आपत्ति है, तो चुनाव आयोग को सबूत क्यों नहीं दे रहे हैं? इससे पहले भी कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
कांग्रेस के लोग चुनाव आयोग और अन्य संस्थाओं की शुचिता पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन, अब जनता इनकी असलियत समझ चुकी है।