क्या 'मनरेगा' का नाम ही नहीं बदला, पूरी मूल संरचना भी बदल गई है?: टीकाराम जूली

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क्या 'मनरेगा' का नाम ही नहीं बदला, पूरी मूल संरचना भी बदल गई है?: टीकाराम जूली

सारांश

क्या 'मनरेगा' योजना का नाम और उसकी मूल संरचना वास्तव में बदल गई है? टीकाराम जूली ने इस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जानिए पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • मनरेगा का नाम और संरचना दोनों में बदलाव हुआ है।
  • बजट के आधार पर रोजगार मिलना श्रमिकों के लिए नई चुनौती है।
  • कोरोना काल में इस योजना ने बहुत मदद की थी।
  • सरकार का वाणिज्यीकरण पर जोर चिंता का विषय है।
  • दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है।

जयपुर, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने ‘मनरेगा’ योजना को लेकर कहा है कि सरकार ने न केवल इसका नाम बदला है, बल्कि इसकी पूर्ण मूल संरचना को भी परिवर्तित कर दिया है। पहले, इस योजना के तहत काम के आधार पर श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया जाता था। अब इसमें बजट के आधार पर श्रमिकों को रोजगार मिलेगा। इससे इसका पूरा मूल ढांचा बदल गया है।

उन्होंने शुक्रवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मनरेगा के माध्यम से 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता था। अब सरकार ने इस योजना पर बड़ा प्रहार किया है। इस योजना ने कोरोना काल में श्रमिकों की बहुत सहायता की थी। पहले इस योजना का संपूर्ण बजट केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता था, लेकिन नए बिल के बाद राज्य सरकार को भी अपने बजट का एक हिस्सा इस योजना को चलाने में लगाना होगा। मनरेगा की योजना श्रमिक केंद्रित थी, लेकिन अब इसमें दो महीने की पाबंदी लगा दी गई है। अब इस योजना के नए प्रावधानों के अनुसार, फसल के समय श्रमिकों को रोजगार नहीं मिलेगा।

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश की मौजूदा सरकार हर चीज का वाणिज्यीकरण कर रही है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या देकर जाएंगे? स्पष्ट उत्तर है कि हम कुछ भी नहीं दे पाएंगे। यदि हमारे पूर्वजों ने ऐसा ही किया होता, तो आज हमारे पास कुछ भी नहीं होता। हम इस प्रकार की स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। केंद्र सरकार आम जनता से कोई लेना-देना नहीं रखती। यह सरकार केवल अपने लोगों को लाभ पहुंचाने में लगी हुई है।

उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के कारण आज लोगों का सांस लेना भी कठिन हो गया है। सरकार इस दिशा में पूरी तरह से उदासीन है। कभी ऑड-ईवन लागू करती है, तो कभी कुछ प्रतिबंध लगाती है, लेकिन इसके सकारात्मक परिणाम धरातल पर नहीं दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली में आज भी लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? आज की तारीख में दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की स्थिति देखिए, कैसी है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि मनरेगा योजना का उद्देश्य श्रमिकों को रोजगार प्रदान करना है। यदि इसमें कोई भी परिवर्तन होता है, तो यह सीधे तौर पर श्रमिक वर्ग पर प्रभाव डालेगा। सरकार को चाहिए कि वह इस योजना को मजबूत बनाए और श्रमिकों के हितों का ध्यान रखे।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

मनरेगा योजना क्या है?
मनरेगा योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करती है।
टीकाराम जूली का इस योजना पर क्या कहना है?
टीकाराम जूली का कहना है कि सरकार ने न केवल मनरेगा का नाम बदला है, बल्कि इसकी मूल संरचना को भी बदल दिया है।
क्या मनरेगा में अब बजट के आधार पर रोजगार मिलेगा?
जी हां, अब मनरेगा में श्रमिकों को रोजगार बजट के आधार पर दिया जाएगा, जिससे इसकी मूल संरचना प्रभावित होगी।
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