क्या प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति हमारी जवाबदेही की बात की?

सारांश
Key Takeaways
- प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले को लेकर सरकार की सुरक्षा खामी को उजागर किया।
- उन्होंने मारे गए लोगों के नामों का उल्लेख किया।
- सदन में नारेबाजी ने इस मुद्दे की गंभीरता को और बढ़ा दिया।
- कांग्रेस सांसद ने सच्चाई जानने का अधिकार परिवारों को देने की बात की।
- कूटनीतिक विफलता पर सवाल उठाना जरूरी है।
नई दिल्ली, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 'ऑपरेशन सिंदूर' पर लोकसभा में चल रही चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए व्यक्तियों के नामों की सूची प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि पहलगाम में मारे गए 26 लोगों में से 25 भारतीय थे। यह सरकार की सुरक्षा में कमी का मामला है।
प्रियंका गांधी ने इस हमले को अत्यंत दुखद बताते हुए कहा कि पहलगाम में हुई इस घटना ने हर भारतीय के दिल को चोट पहुंचाई है। उन्होंने कहा, "हम सभी को सुरक्षा मिलती है, लेकिन उस दिन 26 परिवारों का भविष्य उजड़ गया। उनके परिवार के सदस्य मारे गए, जिनमें 25 भारतीय भी शामिल थे।"
कांग्रेस सांसद ने सरकार से सवाल करते हुए कहा, "पहलगाम की बैसरन घाटी में मारे गए लोगों के लिए कोई सुरक्षा नहीं थी। आप कितने भी ऑपरेशन कर लें, इस सच्चाई से नहीं भाग सकते कि उन 25 भारतीयों को सुरक्षा नहीं दी गई।"
सदन में प्रियंका ने मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के नामों का जिक्र करते हुए कहा, "मैं यहाँ 25 भारतीयों के नाम पढ़ना चाहती हूँ, ताकि सभी को यह अहसास हो सके कि वे भी इंसान थे। वे केवल राजनीतिक बिसात के मोहरे नहीं थे। वे इस देश के बेटे थे और शहीद हैं। उनके परिवारों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। उन्हें भी सच्चाई जानने का हक है।"
जब प्रियंका ने सदन में मारे गए लोगों के नाम पढ़ना शुरू किया, तो वहां नारेबाजी होने लगी।
प्रियंका ने 'ऑपरेशन सिंदूर' का जिक्र करते हुए कहा कि अगर यह आतंकवाद को समाप्त करने के लिए था, तो पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति का अध्यक्ष कैसे बनाया गया। उन्होंने इसे कूटनीतिक विफलता करार देते हुए पूछा, "यह किसकी नाकामी है?"