क्या सावन में जलमग्न रहता है ये अद्भुत शिवालय, पांडवों द्वारा निर्मित 'स्वर्ग की सीढ़ियां'?

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क्या सावन में जलमग्न रहता है ये अद्भुत शिवालय, पांडवों द्वारा निर्मित 'स्वर्ग की सीढ़ियां'?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश का बाथू की लड़ी मंदिर साल में आठ महीने जलमग्न रहता है? यह अद्भुत शिवालय पांडवों द्वारा निर्मित 'स्वर्ग की सीढ़ियों' का घर है। जानें इस रहस्यमयी मंदिर की कहानी और उसकी ऐतिहासिकता।

Key Takeaways

  • बाथू की लड़ी मंदिर साल में आठ महीने जलमग्न रहता है।
  • यह मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित माना जाता है।
  • मंदिर की दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।
  • यह मंदिर नागर वास्तु शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • मंदिर क्षेत्र में कई प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।

कांगड़ा, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। आज सावन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है, और यह महादेव के प्रिय मास का समापन केवल एक दिन दूर है। देवाधिदेव की अद्भुत लीला के साथ ही उनके मंदिर भी अद्भुत हैं। न केवल आध्यात्मिकता, बल्कि रहस्य और पुरातत्व की दृष्टि से भी कई शिव मंदिर अद्वितीय हैं।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित बाथू की लड़ी मंदिर अपने अंदर खूबसूरती और रहस्य समेटे हुए है।

यह रहस्यमयी शिवालय साल के आठ महीने तक जलमग्न रहता है और केवल चार महीने (मार्च से जून) में भक्त इसे दर्शन कर पाते हैं। इसे हिमाचल का अनमोल रत्न माना जाता है।

बाथू की लड़ी मंदिर महाराणा प्रताप सागर (पोंग डैम झील) के बीच में स्थित है। इस मंदिर समूह में आठ मंदिर हैं, जिनमें मुख्य मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। मंदिर का निर्माण ‘बाथू’ नामक मजबूत पत्थर से किया गया है, जो पानी में लंबे समय तक डूबे रहने के बावजूद सुरक्षित है। यहां माता काली, भगवान गणेश और भगवान विष्णु की मूर्तियां उकेरी गई हैं।

स्थानीय मान्यता के अनुसार, इन मंदिरों का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था। कहा जाता है कि पांडवों ने यहां स्वर्ग तक जाने वाली सीढ़ियां बनाने की कोशिश की, लेकिन यह कार्य अधूरा रह गया। आज भी मंदिर परिसर में 40 सीढ़ियां मौजूद हैं, जिन्हें ‘स्वर्ग की सीढ़ियां’ कहा जाता है।

हर साल मार्च से जून तक, जब झील का जलस्तर कम होता है, मंदिर पानी से बाहर आता है। इस दौरान भक्त और पर्यटक नाव या सड़क मार्ग से यहां पहुंचते हैं। मंदिर का सबसे ऊंचा मीनार, जो पानी में डूबने पर भी आंशिक रूप से दिखाई देता है, भक्तों को आकर्षित करता है। यहां से पोंग झील और आसपास की हरी-भरी पहाड़ियों का दृश्य अद्भुत है।

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 278 किलोमीटर दूर और धर्मशाला से 64 किमी दूर स्थित है।

बाथू की लड़ी मंदिर न केवल शिव भक्तों के लिए, बल्कि इतिहास और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक अनूठा गंतव्य है। यह आध्यात्मिकता, प्रकृति प्रेम और पक्षियों के प्रति रुचि रखने वालों के लिए भी विशेष है, क्योंकि पोंग डैम क्षेत्र में 200 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आते हैं।

मंदिर की रहस्यमयी बनावट और ऐतिहासिकता इसे विशेष बनाती है। कहा जाता है कि इसे छठी शताब्दी में गूलेरिया साम्राज्य के शासक ने बनवाया था, जबकि अन्य इसे महाभारत काल से जोड़ते हैं। मंदिर की संरचना नागर शैली में है, जो हिमाचल की प्राचीन वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। यह आश्चर्यजनक है कि हजारों साल पुराना यह मंदिर पानी के दबाव को सहन कर आज भी मजबूती से खड़ा है।

Point of View

बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पुरातात्त्विक महत्व को भी उजागर करती है। यह मंदिर आधुनिकता के बीच एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में खड़ा है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है।
NationPress
08/08/2025

Frequently Asked Questions

बाथू की लड़ी मंदिर कहां स्थित है?
बाथू की लड़ी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है।
यह मंदिर साल में कितने महीने जलमग्न रहता है?
यह मंदिर साल के आठ महीने जलमग्न रहता है।
क्या पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था?
हाँ, स्थानीय मान्यता के अनुसार, पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर का निर्माण किया।
बाथू की लड़ी मंदिर में कौन-कौन से देवताओं की मूर्तियां हैं?
इस मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती, माता काली, भगवान गणेश और भगवान विष्णु की मूर्तियां हैं।
यह मंदिर किस वास्तु शैली में निर्मित है?
यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है।