क्या श्रम कानूनों में सुधार पीएम मोदी का ऐतिहासिक कदम है? : एसएन भट्ट

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क्या श्रम कानूनों में सुधार पीएम मोदी का ऐतिहासिक कदम है? : एसएन भट्ट

सारांश

क्या श्रम कानूनों में सुधार पीएम मोदी का ऐतिहासिक कदम है? जानें इस ऐतिहासिक बदलाव के पीछे की कहानी और इसका प्रभाव देश के मजदूर वर्ग पर। एसएन भट्ट का क्या कहना है, जानिए इस लेख में।

Key Takeaways

  • नए श्रम कानून श्रमिकों के लिए सुरक्षा और लाभ प्रदान करते हैं।
  • महिलाओं के लिए समान वेतन और सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करते हैं।
  • सीटीसी का 50 प्रतिशत बेसिक माने जाने से पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ेंगे।
  • गिग वर्कर्स और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सोशल सिक्योरिटी का लाभ मिलेगा।
  • लचीला चार दिवसीय वर्क वीक श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाएगा।

नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। एयर इंडिया एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव एसएन भट्ट ने नए श्रम कानूनों के संदर्भ में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए ये सुधार साहसिक, क्रांतिकारी और देश के मजदूर वर्ग के लिए ऐतिहासिक कदम हैं।

भट्ट ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि टाइम-बाउंड मिनिमम वेतन की गारंटी, बेसिक सैलरी स्ट्रक्चर का बढ़ना, पीएफ और ग्रेच्युटी को व्यापक सीटीसी ढांचे में शामिल करना श्रमिकों को वास्तविक सुरक्षा और दीर्घकालिक लाभ प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि सीटीसी का 50 प्रतिशत बेसिक माने जाने से श्रमिकों के पीएफ और ग्रेच्युटी दोनों में वृद्धि होगी। यह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया अत्यंत महत्वपूर्ण और दूरदर्शी निर्णय है।

महिलाओं के मुद्दे पर भट्ट ने कहा कि नए कानून के तहत समान वेतन, जेंडर भेदभाव समाप्त करने और सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित किए गए हैं। इससे भारत की कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी अभूतपूर्व रूप से बढ़ेगी।

उन्होंने स्पष्ट किया कि महिलाओं के नाइट शिफ्ट को लेकर जो भ्रांतियाँ फैलाई गई हैं, वह गलत हैं। नए कानून में महिलाओं की स्पष्ट सहमति और सुरक्षा की गारंटी अनिवार्य है।

भट्ट ने 40 करोड़ से अधिक श्रमिकों को सोशल सिक्योरिटी के दायरे में लाने के निर्णय को प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच और श्रमिक सम्मान की प्रतिबद्धता बताया। इनमें गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और असंगठित क्षेत्र के मजदूर शामिल हैं।

भट्ट ने नए प्रावधानों जैसे ओवरटाइम पर डबल वेतन, 40 साल से अधिक आयु वाले श्रमिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य जांच, और लचीला चार दिवसीय वर्क वीक (12 घंटे की शिफ्ट) को वर्कर डिग्निटी और बेहतर जीवन गुणवत्ता की सरकारी प्राथमिकता का स्पष्ट संकेत बताया।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को चार लेबर कोड लागू कर दिए हैं। इन कोड के लागू होते ही पहले के 29 श्रम कानून समाप्त हो गए हैं। अब उनकी जगह पर एक एकीकृत और सरल कानूनी ढांचा काम करेगा। लागू किए गए कोड मजदूरी पर कोड (2019), इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड (2020), सोशल सिक्योरिटी पर कोड (2020) और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड (2020) हैं।

Point of View

NationPress
25/11/2025

Frequently Asked Questions

नए श्रम कानूनों में क्या-क्या बदलाव हुए हैं?
नए श्रम कानूनों में टाइम-बाउंड मिनिमम वेतन, सीटीसी का 50 प्रतिशत बेसिक माने जाने, और महिलाओं के लिए समान वेतन सुनिश्चित करने जैसे महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं।
क्या ये नए कानून महिलाओं को सुरक्षित कार्यस्थल प्रदान करते हैं?
हाँ, नए कानून के तहत महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित किया गया है और नाइट शिफ्ट में काम करने के लिए उनकी सहमति आवश्यक है।
कितने श्रमिकों को सोशल सिक्योरिटी का लाभ मिलेगा?
लगभग 40 करोड़ श्रमिकों को सोशल सिक्योरिटी के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया है।
ओवरटाइम का क्या प्रावधान है?
नए कानूनों के अनुसार ओवरटाइम पर डबल वेतन देने का प्रावधान है।
क्या नया कानून असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए भी है?
जी हाँ, नए श्रम कानूनों में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी शामिल किया गया है।
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