क्या लद्दाख की बर्फीली चोटी पर विदेशी नागरिक फंस गए थे? सेना ने किया बचाव!

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क्या लद्दाख की बर्फीली चोटी पर विदेशी नागरिक फंस गए थे? सेना ने किया बचाव!

सारांश

लद्दाख की बर्फीली चोटी पर दो विदेशी नागरिक संकट में थे। भारतीय सेना ने एक साहसिक ऑपरेशन चलाकर उन्हें सुरक्षित निकाला। यह मिशन रात में हुआ, जिसमें चुनौतियों का सामना करते हुए सेना ने अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया। जानिए पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • भारतीय सेना की तत्परता और साहस का उदाहरण।
  • 17,000 फीट की ऊंचाई पर खतरनाक परिस्थितियों में बचाव।
  • रात के अंधेरे में सफल ऑपरेशन का आयोजन।
  • नाइट विजन तकनीक का उपयोग।
  • दक्षिण कोरियाई दंपति की सुरक्षित निकासी।

नई दिल्ली, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लद्दाख की बर्फ से ढकी खतरनाक चोटी पर दो विदेशी नागरिकों के फंसने का एक गंभीर मामला सामने आया है। ये कोरियाई नागरिक 17,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाली चोटी पर मौजूद थे। भारतीय सेना ने इस स्थिति का पता लगते ही बिना देरी किए रात के अंधेरे में एक संवेदनशील और साहसिक ऑपरेशन चलाया।

यह अभियान भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर की आर्मी एविएशन यूनिट ने सफलतापूर्वक सम्पन्न किया। कड़ी मेहनत के बाद दोनों विदेशी नागरिकों को बचा लिया गया। फिलहाल, दोनों अस्पताल में भर्ती हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है।

सेना के इस मिशन के तहत दक्षिण कोरिया के नागरिक ह्यून वू किम और उनकी पत्नी को सुरक्षित निकाला गया। विदेशी दंपति लद्दाख स्थित कोंगमारुला दर्रे में फंसे हुए थे।

सेना के मुताबिक, 4 सितंबर की रात लद्दाख में तैनात भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर को एक आपातकालीन संदेश मिला।

संदेश में बताया गया कि कोंगमारुला दर्रे पर दो दक्षिण कोरियाई नागरिक गंभीर संकट में फंसे हुए हैं और उन्हें तत्काल हवाई निकासी की आवश्यकता है।

यह ऑपरेशन रात के समय होने के कारण काफी कठिन था। वहीं, चुनौतियां और बढ़ गई थीं, क्योंकि यह दुर्गम इलाका 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां चारों ओर बर्फ से ढके खतरनाक शिखर हैं और अनियमित मौसम के कारण उड़ान संचालन बेहद कठिन हो जाता है।

नाइट विजन उड़ान और लैंडिंग ने मिशन को कठिन बना दिया। इतना ही नहीं, जहां विदेशी नागरिक फंसे हुए थे, वहां कोई तैयार हेलीपैड भी नहीं था। नाइट विजन गॉगल्स की मदद से सेना के पायलटों को सटीक लैंडिंग करनी पड़ी, जिसके लिए असाधारण उड़ान कौशल और परिस्थितियों की गहरी समझ की आवश्यकता थी।

इसके बावजूद, सेना ने बिना समय गंवाए तेजी से कार्रवाई की। रात को संदेश प्राप्त होने के तुरंत बाद स्क्वाड्रन ने तेजी से कार्रवाई की और हेलीकॉप्टर को मिशन के लिए रवाना कर दिया।

इस खतरनाक माहौल में भी सेना के पायलट सफल लैंडिंग में कामयाब रहे। अब अगली चुनौती बचाव अभियान की थी। काफी अंधेरा होने के बाद भी हेलीकॉप्टर ने खतरनाक शिखर पर सुरक्षित लैंडिंग की। सेना की बचाव टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों विदेशी नागरिकों को हेलीकॉप्टर में सुरक्षित स्थानांतरित किया। बचाव के बाद दोनों को तुरंत चिकित्सा अधिकारियों के हवाले कर दिया गया।

Point of View

तब सेना ने बिना किसी देरी के कार्रवाई की। यह न केवल एक बचाव अभियान है, बल्कि एक उदाहरण है कि हमारी सेना हर परिस्थिति में नागरिकों की सुरक्षा के लिए तत्पर रहती है।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

लद्दाख में विदेशी नागरिक क्यों फंसे?
दो दक्षिण कोरियाई नागरिक लद्दाख स्थित कोंगमारुला दर्रे पर 17,000 फीट की ऊंचाई पर फंसे हुए थे।
सेना ने बचाव अभियान कैसे चलाया?
भारतीय सेना ने रात के अंधेरे में एक साहसिक ऑपरेशन चलाया और नाइट विजन का उपयोग करते हुए सफल लैंडिंग की।
फंसे हुए नागरिकों की स्थिति क्या है?
बचाव के बाद, दोनों नागरिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।