क्या मध्य प्रदेश में किसान ने कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के दौरान जहर खाया?
सारांश
Key Takeaways
- किसान का आत्म-निरोधक कदम प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है।
- किसान की स्थिति में सुधार के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
- स्थानीय दबंगों के खिलाफ कार्रवाई ना होना एक गंभीर मुद्दा है।
- न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के मामले में प्रशासन को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
- किसानों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करना आवश्यक है।
गुना, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के गुना जिले के म्याना थाना क्षेत्र में एक हैरान करने वाली घटना हुई है, जहां एक किसान ने अपनी जमीन पर दबंगों द्वारा किए गए कब्जे से परेशान होकर कलेक्ट्रेट परिसर में जनसुनवाई के दौरान जहर खा लिया।
जानकारी के अनुसार, मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान किसान अर्जुन सिंह ढीमर अचानक वहीं गिर पड़े। जब अन्य लोग उनके पास पहुंचे, तो पता चला कि उन्होंने जहर का सेवन कर लिया है।
इस घटना के कारण कलेक्ट्रेट परिसर में अफरा-तफरी मच गई और अर्जुन को तुरंत अस्पताल भेजा गया, जहां उनका इलाज जारी है। प्रशासन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है।
अर्जुन ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि उनकी भूमि पर गांव के दबंगों ने जबरदस्ती कब्जा कर लिया है और उन्हें खेती करने से रोक रहे हैं। यह भी चिंता का विषय है कि न्यायालय ने सितंबर 2025 में इस भूमि पर स्थगन आदेश जारी किया था, लेकिन दबंगों ने उस आदेश की अवहेलना की और भूमि पर कब्जा बनाए रखा।
उन्होंने बताया कि न्यायालय के आदेश के बावजूद पुलिस प्रशासन दबंगों का समर्थन कर रहा है। जब वह सहायता मांगने जाते हैं तो पुलिस अधिकारी उन्हें वापस कर देते हैं। इसके साथ ही, गांव के दबंग लोग उन्हें जान से मारने की धमकी देते हैं।
अर्जुन सिंह ने कहा कि उन्होंने पहले भी पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर दबंगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। उन्होंने शिकायत में यह भी बताया था कि दबंग उन्हें जान से मारने की धमकी देते थे और जमीन पर पैर रखने पर गंभीर परिणाम भुगतने की बात कहते थे। जब प्रशासन और पुलिस की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया, तो उनका धैर्य जवाब दे गया और वह मानसिक तनाव का शिकार हो गए।
गुना के अपर कलेक्टर अखिलेश जैन ने बताया कि जनसुनवाई के दौरान एक किसान की तबीयत खराब हो गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल भेजा गया। उनकी शिकायत के निस्तारण के लिए अधिकारियों को आदेश दे दिए गए हैं।
यह उल्लेखनीय है कि अर्जुन सिंह ढीमर पिछले पांच वर्षों से अपनी पुश्तैनी कृषि भूमि पर कब्जे को लेकर परेशान थे। इस दौरान उन्होंने कई बार आवेदन दिए, लेकिन प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों से कोई समाधान नहीं मिला।