क्या महाकाल ने धारण किया सुदर्शन चक्र और त्रिशूल? भस्म आरती में भक्तों का तांता लगा

Click to start listening
क्या महाकाल ने धारण किया सुदर्शन चक्र और त्रिशूल? भस्म आरती में भक्तों का तांता लगा

सारांश

उज्जैन में बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार हुआ। श्रद्धालुओं का तांता लगा और भस्म आरती के समय जयघोष से पूरा मंदिर गूंज उठा। जानें महाकाल का अद्वितीय स्वरूप और भक्तों का अनुभव।

Key Takeaways

  • महाकाल ने सुदर्शन चक्र और त्रिशूल धारण किया।
  • भक्तों की भारी भीड़ ने भस्म आरती में भाग लिया।
  • अभिषेक के बाद बाबा का भव्य श्रृंगार किया गया।
  • जय श्री महाकाल के जयघोष से गूंज उठा परिसर।
  • मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

उज्जैन, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकालेश्वर के दरबार में सोमवार प्रातःकाल एक विशेष आध्यात्मिक माहौल देखने को मिला, जब मंदिर के पट खुलते ही पूरा परिसर 'जय श्री महाकाल' के जयघोष से गूंज उठा।

सोमवार होने के कारण तड़के से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा और सभी ने उत्साहपूर्वक बाबा के दिव्य दर्शन किए। भस्म आरती के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ और अधिक बढ़ गई, जिससे उज्जैन की गलियां भी भक्तिमय रंग में रंग गईं। मंदिर के साथ ही आस-पास भी 'जय श्री महाकाल' के जयघोष से गूंज उठा।

सुबह सबसे पहले पुजारियों द्वारा बाबा महाकाल का हरि ओम जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद पंचामृत दूध, दही, घी और शहद से पारंपरिक विधि-विधान के अनुसार पूजन सम्पन्न हुआ। अभिषेक के बाद बाबा का भव्य श्रृंगार किया गया, जिसने उपस्थित भक्तों का मन मोह लिया। हर कोई बाबा महाकाल का एक दर्शन करने के लिए लाइन में खड़ा रहा।

सोमवार को श्रृंगार विशेष रूप से इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि बाबा ने सुदर्शन चक्र और त्रिशूल धारण किए हुए मनोहारी स्वरूप में दर्शन दिए। यह अद्वितीय अलंकरण जैसे ही सामने आया, श्रद्धालुओं में हर्ष की लहर दौड़ गई और सभी ने हाथ जोड़कर बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया और अपनी मनोकामना मांगी।

श्रृंगार के बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से बाबा को भस्म अर्पित की गई, जो उज्जैन की महाकाल परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन अनुष्ठान माना जाता है। भस्म आरती के मंत्रोच्चार, ढोल-नगाड़ों और शंखध्वनि ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। आरती के दौरान उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे और 'महाकाल की जय' और 'जय श्री महाकाल' के नारे पूरे परिसर में गूंजने लगे।

विशेष आरती में स्थानीय भक्तों के साथ-साथ दूर-दूर से आए यात्रियों ने भी हिस्सा लिया। कई श्रद्धालुओं ने कहा कि महाकाल बाबा के इस अलौकिक स्वरूप ने उनके मन को शांति और ऊर्जा से भर दिया।

मंदिर प्रशासन के अनुसार, त्योहारों के दिनों के समान ही सोमवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिससे महाकाल नगरी में धार्मिक माहौल पूरे दिन बना रहा।

Point of View

बल्कि दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है। ऐसे आयोजनों से धार्मिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होता है।
NationPress
24/11/2025

Frequently Asked Questions

महाकालेश्वर मंदिर कब खोला जाता है?
महाकालेश्वर मंदिर सुबह जल्दी खोला जाता है, विशेष रूप से सोमवार को भक्तों की अधिक भीड़ रहती है।
भस्म आरती क्या है?
भस्म आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की जाती है।
महाकाल की पूजा में कौन-कौन से पदार्थ अर्पित किए जाते हैं?
महाकाल की पूजा में दूध, दही, घी, और शहद जैसे पंचामृत का प्रयोग होता है।
क्या महाकाल की विशेष आरती होती है?
हाँ, महाकाल की विशेष आरती में भक्तों की बड़ी संख्या शामिल होती है, जो भक्ति भाव से आरती का हिस्सा बनते हैं।
महाकाल का सुदर्शन चक्र और त्रिशूल धारण करना क्यों महत्वपूर्ण है?
सुदर्शन चक्र और त्रिशूल महाकाल के दिव्य स्वरूप का प्रतीक हैं, जो भक्तों को शक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद देते हैं।
Nation Press