क्या कंगना रनौत को मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने कंगना की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया।
- महिंदर कौर ने कंगना के खिलाफ मानहानि शिकायत दर्ज कराई।
- कंगना ने याचिका वापस ले ली।
- किसान आंदोलन के दौरान हुई विवादास्पद टिप्पणियाँ इस मामले का आधार हैं।
- कानूनी प्रक्रिया में सेलिब्रिटी की टिप्पणियाँ महत्वपूर्ण होती हैं।
नई दिल्ली, १२ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मानहानि के मामले में फिल्म अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद कंगना ने अपनी याचिका वापस ले ली।
यह मामला किसान आंदोलन के दौरान कंगना की अपमानजनक टिप्पणी से जुड़ा था। उन पर आरोप है कि उन्होंने महिला किसान महिंदर कौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
महिंदर कौर ने कंगना के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी। सांसद ने इस शिकायत को रद्द करने के लिए चंडीगढ़ हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा, “हम आपके ट्वीट पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, इससे ट्रायल पर असर पड़ेगा। ये सिर्फ एक साधारण री-ट्वीट नहीं था, इसमें आपकी टिप्पणी भी शामिल थी।”
इसके बाद कंगना के वकील ने कोर्ट से याचिका वापस ले ली। कंगना रनौत ने किसान आंदोलन के दौरान अपने रिट्वीट में महिंदर कौर की फोटो शेयर की थी और लिखा था कि "यह वही बिलकिस बानो दादी है जो शाहीन बाग प्रदर्शन का हिस्सा थी।"
इससे पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने १ अगस्त को कंगना रनौत की याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता एक सेलिब्रिटी हैं और उन पर गंभीर आरोप हैं कि उनके रीट्वीट में लगाए गए झूठे और मानहानिकारक आरोपों से प्रतिवादी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। इससे न केवल उनकी छवि दूसरों की नजरों में कमजोर हुई है, बल्कि उनकी खुद की नजर में भी धक्का लगा है। इसलिए प्रतिवादी द्वारा अपने अधिकारों की रक्षा के लिए शिकायत दर्ज करना दुर्भावनापूर्ण नहीं माना जा सकता।