क्या मतदाता को मतदान का अधिकार मिलना चाहिए? : दिलीप जायसवाल

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता का अधिकार
- सुप्रीम कोर्ट
- चुनाव आयोग विसंगतियों को सुधारने का प्रयास कर रहा है।
- राजनीतिक लाभ के लिए विवाद खड़ा करना उचित नहीं है।
- मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।
पटना, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मतदाता पुनरीक्षण का मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने के बीच भाजपा नेता दिलीप जायसवाल ने इस विवाद को राजनीतिक हंगामा करार दिया। उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हर मतदाता को उसका मतदान का अधिकार मिलना चाहिए।
इसके साथ ही, चुनाव आयोग ने भी आश्वासन दिया है कि किसी भी मतदाता को तब तक वंचित नहीं किया जाएगा, जब तक उसे पूरा समय और अवसर न दिया जाए।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग केवल उन मतदाताओं को सूची से हटाएगा, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जो दो जगहों पर मतदाता सूची में दर्ज हैं या जिनका पता नहीं चल रहा है।
उदाहरण के लिए, कई गांवों में लोग बताते हैं कि कुछ नाम सूची में हैं, लेकिन वे वहां रहते ही नहीं। चुनाव आयोग ऐसी ही विसंगतियों को सही करने का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मुद्दे पर हंगामा करना और चुनाव आयोग के खिलाफ माहौल बनाना राजनीतिक चाल है। अभी तक एक भी मतदाता ने इस मुद्दे पर आंदोलन नहीं किया है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब अगस्त में मतदाता सूची के लिए अंतिम अवसर दिया जाएगा, तब यदि कोई शिकायत होती है, तो उसका कारण समझा जा सकता है। लेकिन, अभी बिना कारण के हंगामा करना उचित नहीं है।
जायसवाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय इस मामले की पूरी निगरानी कर रहा है और जब तक मामला विचाराधीन है, तब तक बेवजह विवाद खड़ा करना उचित नहीं है। उन्होंने इसे राजनीतिक फंडा बताते हुए कहा कि कुछ लोग बिना काम के ऐसे मुद्दों को हवा देते हैं। यह कोई डर या लालच का मामला नहीं, बल्कि केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया शोर है।