क्या मिजोरम में वन संरक्षण संशोधन अधिनियम सर्वसम्मति से पारित हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- वन संरक्षण संशोधन अधिनियम (एफसीएए), 2023 को सर्वसम्मति से पारित किया गया।
- मुख्यमंत्री पु लालदुहोमा की टिप्पणियों को ध्यान से समझना चाहिए।
- विधानसभा में सभी चर्चाओं का गहन विश्लेषण किया जाता है।
- राज्य सरकार पर जिम्मेदारी आती है जब विधानमंडल सूचित करता है।
- इस अधिनियम का पारित होना मिजोरम के वन संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।
आइजोल, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मिजोरम विधानसभा अध्यक्ष लालबियाकजामा ने सोमवार को प्रेस को संबोधित करते हुए हालिया विधानसभा सत्र और वन संरक्षण संशोधन अधिनियम (एफसीएए), 2023 को अपनाने के संदर्भ में जनता की गलतफहमियों को स्पष्ट किया।
उन्होंने बताया कि सदन ने इस अधिनियम को सर्वसम्मति से पारित किया है। मुख्यमंत्री पु लालदुहोमा ने कोई झूठ नहीं बोला। सदन ने अधिनियम को सर्वसम्मति से पारित किया है।
प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम 137 का उल्लेख करते हुए, अध्यक्ष लालबियाकजामा ने बताया कि विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे राज्य सरकार को आधिकारिक रूप से सूचित किया जाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि वन संरक्षण संशोधन अधिनियम (एफसीएए), 2023 के खिलाफ पारित प्रस्ताव मिजोरम के मुख्य सचिव द्वारा भारत सरकार को भेजा गया था और लोकसभा को भी इसकी सूचना दी गई थी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि विधानमंडल द्वारा मुख्य सचिव को सूचित करने के बाद जिम्मेदारी राज्य सरकार पर आ गई है। पिछली सरकार के कार्यकाल में क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर जो भी कहा है, उसका गलत अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। मुख्यमंत्री पु लालदुहोमा का कहना था कि पिछली सरकार ने इस पहल को आगे नहीं बढ़ाया।
विधानसभा अध्यक्ष लालबियाकजामा ने यह भी कहा कि किसी भी निर्णय को लेने से पहले सदन में सभी चर्चाओं का गहन विश्लेषण किया जाता है। वन संरक्षण संशोधन अधिनियम (एफसीएए) को अपनाने के संदर्भ में जब यह मामला सदन के समक्ष रखा गया था, तो कोई विरोध नहीं था। इसलिए इसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।