क्या पिछले 11 सालों से मोदी सरकार सत्ता नहीं, सेवा की पर्याय रही है: अमित शाह?
सारांश
Key Takeaways
- मोदी सरकार ने सभी राज्यों के राजभवनों के नाम बदलकर लोकभवन रखा है।
- यह कदम सेवा और सुशासन को प्राथमिकता देने का संकेत है।
- प्रधानमंत्री कार्यालय को 'सेवा तीर्थ' नाम दिया गया है।
- सत्ता का कार्य जनता की सेवा करना है, न कि सत्ता का सुख भोगना।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सभी राज्यों के राजभवनों के नाम में बदलाव किया है। अब सभी राज्यों के राजभवन को लोकभवन के नाम से जाना जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे विकसित और श्रेष्ठ भारत के निर्माण की स्वर्णिम यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में बताया है।
अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया कि पिछले 11 वर्षों से मोदी सरकार ने सत्ता को नहीं, बल्कि सेवा को प्राथमिकता दी है, जिसमें सर्वोच्च नेता स्वयं को प्रधानसेवक मानकर जनता के लिए बिना रुके कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इसी दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेवा के प्रति अपने संकल्प को दोहराते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को ‘सेवा तीर्थ’ नाम दिया है। इसके साथ ही, राजभवन और राज निवास का नाम बदलकर लोक भवन और लोक निवास किया जा रहा है।
अमित शाह ने यह भी कहा कि यह कदम सेवा और सुशासन को प्राथमिकता देते हुए विकसित और हर क्षेत्र में श्रेष्ठ भारत के निर्माण की स्वर्णिम यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
ज्ञात रहे कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर राजभवन का नाम लोकभवन में परिवर्तित किया गया है।
इस क्रम में केंद्र सरकार की ओर से राजभवनों के नाम में बदलाव एक स्पष्ट संदेश देता है कि सत्ता कोई लाभ उठाने का साधन नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी है। नाम बदलने के पीछे केवल एक दिखावा नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक स्पष्ट विचारधारा है। यह संदेश है कि सरकार का कार्य जनता की सेवा करना है, न कि सत्ता का सुख भोगना।
वास्तव में, मोदी सरकार के 11 साल के कार्यकाल में कई स्थानों और मार्गों के नाम में बदलाव के उदाहरण देखने को मिले हैं।
इससे पहले राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया था। पहले राजपथ राजाओं का मार्ग या शक्ति का प्रतीक था, जबकि अब इसे कर्तव्य से जोड़ा गया है, जिसका अर्थ स्पष्ट है कि सत्ता कोई अधिकार नहीं, बल्कि सेवा का अवसर और जिम्मेदारी है।