क्या भगवान शिव का अन्नामलैयार मंदिर मोक्ष का द्वार है, जो पंचभूतों में अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है?
सारांश
Key Takeaways
- अन्नामलैयार मंदिर अग्नि तत्व का प्रतीक है।
- यह मंदिर मोक्ष का दरवाजा माना जाता है।
- मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है।
- यह दक्षिण भारत के पवित्र स्थलों में से एक है।
- यहाँ का शिवलिंग चमत्कारी है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदू धर्म के अंतर्गत और हमारे पुराणों में यह बताया गया है कि पृथ्वी और मानव शरीर पंचभूतों से मिलकर बने हैं, जिनमें अग्नि, वायु, जल, आकाश, और भूमि शामिल हैं।
दक्षिण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भगवान शिव पंचभूतों के प्रतिनिधित्व के लिए जाने जाते हैं। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में स्थित भगवान शिव का अन्नामलैयार मंदिर अग्नि तत्व का प्रतीक है।
अरुलमिगु अन्नामलैयार मंदिर, जो तिरुवन्नामलाई में है, को अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाला एक अद्वितीय मंदिर माना जाता है। इस मंदिर की ऊर्जा अन्य मंदिरों से भिन्न है, जो भक्तों को एक शक्तिशाली अनुभव प्रदान करती है। इसे मोक्ष का दरवाजा माना जाता है। कहा जाता है कि यहाँ दर्शन करने से और भगवान शिव की सच्ची भक्ति करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मंदिर की वास्तुकला और डिजाइन अद्भुत हैं। यह मंदिर एक ऊँची पहाड़ी की तलहटी पर स्थित है। इसकी दीवारें, स्तंभ और गर्भगृह दक्षिण द्रविड़ वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यह परिसर 10 हेक्टेयर में फैला है और भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। यहाँ मुख्य चार दरवाजे हैं और कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें अन्नामलैयार और उन्नामुलई अम्मन के मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी की शुरुआत में चोल राजाओं के दौरान हुआ था, जिसके बाद होयसला राजाओं ने इसका विस्तार किया। यहाँ चोल और होयसला वंश की नक्काशी और शैली स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। मंदिर के स्तंभों पर देवी-देवताओं की छोटी प्रतिमाएँ उकेरी गई हैं।
अन्नामलैयार मंदिर में स्थित शिवलिंग स्वयंभू और चमत्कारी है। भगवान शिव के अन्नामलैयार रूप के दर्शन करने से सभी रोग समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि दक्षिण भारत में भगवान शिव अन्य मंदिरों में जल, पृथ्वी, वायु और आकाश का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।