क्या मानसून सत्र को अच्छे से चलाने की जिम्मेदारी सरकार की है? : संजय राउत

सारांश
Key Takeaways
- मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा।
- संजय राउत ने सरकार से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की मांग की है।
- न्यायपालिका की प्रतिष्ठा की सुरक्षा आवश्यक है।
- जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की योजना है।
- विपक्ष की आवाज सुनना सरकार की जिम्मेदारी है।
नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मानसून सत्र का आगाज 21 जुलाई से होने जा रहा है। शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि हम इस सत्र में सार्थक चर्चा करना चाहते हैं और सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार से सवाल पूछने का इरादा रखते हैं।
संजय राउत ने यह भी कहा कि यदि सरकार मानसून सत्र को सुचारू रूप से चलाना चाहती है, तो उसे विपक्ष की बातों पर ध्यान देना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सवाल पूछना उनका अधिकार है। राउत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर, और बिहार में मतदाता सूची की जांच जैसे मुद्दों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगने की बात कही।
बिहार में बढ़ती आपराधिक घटनाओं पर संजय राउत ने चुटकी लेते हुए कहा कि वहां पंडित नेहरू की सरकार है।
इस मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। सरकार उनके खिलाफ महाभियोग लाने की योजना बना रही है, जिसके लिए लगभग सौ सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। इस मामले में सरकार विपक्षी दलों के सहयोग की उम्मीद कर रही है।
इस मुद्दे पर संजय राउत ने कहा कि यह केवल किसी दल का मामला नहीं, बल्कि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा का प्रश्न है।
असल में, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को कहा कि कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव के लिए सौ से अधिक सांसदों ने पहले ही नोटिस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका वह स्थान है, जहां लोगों को न्याय मिलता है। यदि यहां भ्रष्टाचार है, तो यह सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय है। जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर होना चाहिए।
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश-कांड में फंसे हुए हैं। उनके दिल्ली स्थित आवास में 14 मार्च को एक स्टोर रूम में आग लगी थी, जहां कथित तौर पर बड़ी मात्रा में कैश मिला था।