क्या मुंबई में बुजुर्ग दंपत्ति को डिजिटल अरेस्ट कर 58 करोड़ रुपए की ठगी करने वाले 6 और आरोपी गिरफ्तार हुए?
सारांश
Key Takeaways
- साइबर अपराध का खतरा बढ़ रहा है।
- बुजुर्गों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
- साइबर हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत संपर्क करें।
- सरकारी अधिकारियों से संपर्क करते समय सतर्क रहें।
- आर्थिक धोखाधड़ी से बचने के उपाय जानें।
मुंबई, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। साइबर अपराध के एक मामले में, बुजुर्ग दंपत्ति को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 58 करोड़ रुपए की ठगी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने इस सिलसिले में छह और आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
महाराष्ट्र साइबर सेल की जांच में यह सामने आया है कि ठगों ने पीड़ित दंपत्ति को सरकारी अधिकारी बनकर धमकाया और उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके उनकी सारी जमा पूंजी इंडोनेशिया में स्थित एक बैंक खाते में ट्रांसफर करवाई।
जांच में पता चला है कि यह वही विदेशी खाता है, जिसके माध्यम से पिछले 14 महीनों में 513 करोड़ रुपए से अधिक का लेनदेन हुआ है। इस खाते में मनी लॉन्ड्रिंग और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए रकम विदेश भेजी गई।
महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने इस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में मुंबई, राजस्थान और मैसूर के लोग शामिल हैं।
मुख्य आरोपी प्रभादेवी निवासी मुकेश भाटिया (66) ने पूछताछ में बताया कि उसने टेक्नोमिस्ट सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड नाम से इंडोनेशिया में बैंक खाता खोला था, जिसमें ठगी की रकम जमा की गई।
पुलिस के अनुसार, यह नेटवर्क सनी लोढा (32) और उसके सहयोगियों के निर्देश पर काम करता था। एक अन्य आरोपी ने कबूल किया कि ठगी की रकम को एजेंटों और विभिन्न बैंक खातों के जरिए विदेश भेजा गया और इसमें क्रिप्टोकरेंसी का भी इस्तेमाल किया गया।
महाराष्ट्र साइबर सेल का कहना है कि पूछताछ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले साइबर नेटवर्क के कई और लिंक सामने आ रहे हैं। पुलिस अब विदेशी एजेंसियों की मदद से इंडोनेशिया के बैंक खाते और उसके ट्रांजैक्शन की गहराई से जांच कर रही है।
अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी ऑनलाइन जांच, कॉल या कानूनी नोटिस के नाम पर भयभीत न हों और ऐसे मामलों में तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे इस मामले में जांच आगे बढ़ रही है, कई अन्य मामलों का भी खुलासा हो रहा है। आरोपी कई राज्यों में कई लोगों को “डिजिटल अरेस्ट” के जरिए अपने बैंक अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कराते थे।