क्या नदी की धारा के मध्य हजारों शिवलिंग मौजूद हैं? पानी का स्तर कम होते ही महादेव भक्तों को दर्शन मिलते हैं

सारांश
Key Takeaways
- सहस्रलिंग का अद्भुत नजारा जल स्तर घटते ही देखने को मिलता है।
- यह स्थान भगवान शिव की आस्था का प्रतिनिधित्व करता है।
- महाशिवरात्रि पर यहाँ भव्य मेला लगता है।
- राजा सदाशिवराय वर्मा ने शिवलिंगों की स्थापना की थी।
- यहाँ नंदी की विशाल प्रतिमा है।
नई दिल्ली, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भगवान शिव का संसार कितना अद्भुत है, इसका वास्तविक अनुभव भारत में एक ऐसी जगह पर होता है जहां नदी की धारा के बीच हजारों शिवलिंग एक साथ मौजूद हैं। जैसे ही इस नदी का जल स्तर घटता है, श्रद्धालुओं को इन हजारों शिवलिंग के दर्शन एक साथ किए जा सकते हैं। हालाँकि, नदी के किनारे पर स्थित शिवलिंग हर मौसम में लोगों के लिए खुला रहता है।
यह अनोखा शिव धाम कर्नाटक में स्थित है और महाशिवरात्रि पर यहाँ भव्य मेला आयोजित किया जाता है। बताया जाता है कि विजयनगर के राजा सदाशिवराय वर्मा ने 1678 से 1718 के बीच इन शिवलिंगों की स्थापना की थी। ये सभी शिवलिंग कर्नाटक की पवित्र शलमाला नदी की धाराओं के बीच स्थित हैं। मान्यता है कि जिन दंपतियों को संतान प्राप्ति में कठिनाई होती है, वे यहाँ आकर पूजा-पाठ करते हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
कर्नाटक राज्य के सिरसी से लगभग 14 किमी दूर स्थित यह सहस्रलिंग श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इन सहस्रलिंगों की विशेषता यह है कि हर लिंग के सामने नंदी (बैल) की नक्काशी है।
शलमाला नदी, जो जंगलों से घिरी हुई और बेहद खूबसूरत है, अपने अंदर एक अद्भुत विरासत और इतिहास समेटे हुए है। यहां कुछ पत्थरों में एक से अधिक शिवलिंग भी विद्यमान हैं। यहाँ केवल भगवान शिव ही नहीं, बल्कि नंदी (भगवान शिव की सवारी), प्रथम पूज्य भगवान गणेश और नाग देवता की आकृतियाँ भी उकेरी गई हैं।
यहाँ स्थित नंदी की प्रतिमा सबसे विशाल है, जो लगभग 12 फीट लंबी और 5 फीट चौड़ी है। यह विशालकाय पत्थर की मूर्ति देखने में बहुत मनमोहक है।
कहा जाता है कि शलमाला नदी में स्थित शिवलिंग की स्थापना का उद्देश्य यह था कि साल के सभी दिन इन शिवलिंगों का अभिषेक होता रहे। इसलिए राजा ने शलमाला नदी में सहस्रलिंग का निर्माण कराया।
नदी में स्थित शिवलिंगों का अद्भुत नजारा तब देखने को मिलता है जब नदी का जल स्तर थोड़ा घटता है। बारिश के मौसम में जब नदी में जल बढ़ा होता है, तब कुछ ही शिवलिंग ऊपर दिखते हैं। लेकिन जैसे ही जल स्तर नीचे आता है, नदी हजारों शिवलिंगों से भरी हुई नजर आती है।