क्या नवरात्रि का चौथा दिन देवी कूष्मांडा के लिए खास है? जानें पूजा विधि और महत्व

सारांश
Key Takeaways
- मां कूष्मांडा की पूजा से इच्छाएं पूरी होती हैं।
- रॉयल ब्लू रंग का पहनावा शुभ होता है।
- ब्रह्म मुहूर्त में पूजा का विशेष महत्व है।
- मालपुआ मां का प्रिय भोग है।
- पूजा में स्नान और साफ वस्त्र पहनना आवश्यक है।
नई दिल्ली, २४ सितंबर (आईएएनस)। शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व जारी है और आज का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। कहा जाता है कि मां कूष्मांडा की पूजा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और कार्यों में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं।
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा तुला राशि में रहेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह ११:४८ बजे से १२:३७ बजे तक रहेगा और राहुकाल का समय १:४३ बजे से ३:१३ बजे तक रहेगा।
दुर्गा पुराण में बताया गया है कि मां कूष्मांडा को 'अंड' (ब्रह्मांड) की सृष्टि करने वाली माना जाता है। विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कूष्मांडा की पूजा अवश्य करनी चाहिए, इससे उनकी बुद्धि का विकास होता है।
देवी भागवत पुराण के अनुसार, माता ने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की, इसलिए उन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है। सृष्टि के आरंभ में अंधकार था, जिसे मां ने अपनी हंसी से दूर किया। उनमें सूर्य की गर्मी सहने की अद्भुत शक्ति है, इसी कारण उनकी पूजा से भक्तों को शक्ति और ऊर्जा मिलती है।
मां कूष्मांडा की पूजा से सभी कार्य सफल होते हैं और जिन कार्यों में रुकावट आती है, वे भी बिना किसी बाधा के संपन्न हो जाते हैं। मां की पूजा से भक्तों को सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है।
इस दिन रॉयल ब्लू रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। यह रंग शक्ति, समृद्धि, आत्मविश्वास और विचारों में गहराई का प्रतीक है।
माता की विधि-विधान से पूजा करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें और माता की चौकी को साफ करें। अब माता को पान, सुपारी, फूल, फल आदि अर्पित करें, साथ ही श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल), चंदन, रोली आदि शामिल हों।
इसके बाद उन्हें फल, मिठाई, या अन्य सात्विक भोग अर्पित करें। मां कूष्मांडा को मालपुआ प्रिय है, हो सके तो उन्हें भोग लगाएं। माता के सामने घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ या दुर्गा चालीसा कर सकते हैं। अंत में मां दुर्गा की आरती करें और आचमन कर पूरे घर में आरती दिखाना न भूलें।