क्या नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है? जानें पूजा के महत्व

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क्या नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है? जानें पूजा के महत्व

सारांश

नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन मां की पूजा से सफलता और मानसिक शांति प्राप्त होती है। जानें पूजा विधि और महत्वपूर्ण बातें, जिससे आप मां की कृपा पा सकें।

Key Takeaways

  • मां चंद्रघंटा की पूजा से शक्ति और मानसिक शांति मिलती है।
  • पूजा में लाल और पीले गेंदे के फूल अर्पित करें।
  • सूर्योदय से पहले पूजा करना शुभ है।
  • मां की कृपा से सफलता प्राप्त होती है।
  • पूजा की विधि सरल है, इसे घर पर भी किया जा सकता है।

नई दिल्ली, 23 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि पर बुधवार को नवरात्रि का तीसरा दिन मनाया जा रहा है। यह विशेष दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है, जो अपने भक्तों के हृदय में ममता और शक्ति का संचार करती हैं। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को सूर्य कन्या राशि में गोचर करेंगे, जबकि चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे। इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12:13 बजे से 1:43 बजे तक रहेगा।

देवी भागवत पुराण में वर्णित है कि मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत भव्य और अलौकिक है। उनके मस्तक पर अर्द्धचंद्र सुशोभित होता है, इसी कारण से उन्हें 'चंद्रघंटा' नाम से जाना जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही मानसिक शांति भी मिलती है और नई ऊर्जा का संचार होता है।

पुराणों के अनुसार, मां चंद्रघंटा की आराधना से पारिवारिक सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। इस दिन की पूजा विशेष रूप से सूर्योदय से पहले करनी चाहिए, क्योंकि इस समय मां की विशेष कृपा बरसती है। पूजा में लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाने का महत्व है, ये फूल मां की ममता और शक्ति का प्रतीक होते हैं।

भक्त पूजा की सरल विधि अपनाकर घर में ही मां की कृपा पा सकते हैं।

इस दिन विधि-विधान से पूजा शुरू करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। लाल रंग के वस्त्र पहनने का प्रयास करें, क्योंकि लाल रंग मां दुर्गा को प्रिय है। फिर, पूजा स्थल को साफ करें। एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता की प्रतिमा स्थापित करें और कलश की भी स्थापना करें। अब देवी मां को श्रृंगार का सामान अर्पित करें, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल), चंदन, रोली आदि शामिल हों।

इसके बाद उन्हें फल, मिठाई या अन्य सात्विक भोग लगाएं (जैसे खीर या हलवा)। मां दुर्गा के सामने घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं। अंत में मां दुर्गा की आरती करें।

Point of View

बल्कि यह हमें शक्ति और एकता की प्रेरणा भी देता है। मां चंद्रघंटा की आराधना से नकारात्मकता दूर होती है और परिवार में सुख-समृद्धि का संचार होता है। यह पर्व हमें एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देता है।
NationPress
23/09/2025

Frequently Asked Questions

मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व क्या है?
मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन में सफलता, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
क्या समय मां चंद्रघंटा की पूजा का सही है?
सूर्योदय से पहले मां चंद्रघंटा की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा में कौन से फूल चढ़ाने चाहिए?
लाल और पीले गेंदे के फूल मां चंद्रघंटा को प्रिय होते हैं और इन्हें पूजा में अर्पित करना चाहिए।