क्या पराली जलाने की घटनाओं में कमी के लिए उचित निगरानी आवश्यक है: शिवराज सिंह?

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क्या पराली जलाने की घटनाओं में कमी के लिए उचित निगरानी आवश्यक है: शिवराज सिंह?

सारांश

कृषि एवं पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में पराली प्रबंधन और उसके प्रभाव पर चर्चा की गई। किसानों के लिए जागरूकता, वित्तीय सहायता, और प्रभावी निगरानी के उपायों पर जोर दिया गया। क्या ये कदम वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक होंगे? जानें इस महत्वपूर्ण बैठक के बारे में और इसके संभावित परिणामों पर।

Key Takeaways

  • पराली जलाने से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है।
  • किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है।
  • वित्तीय सहायता के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • सभी राज्यों को कार्य योजना के तहत मिलकर काम करना चाहिए।

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पराली प्रबंधन से संबंधित एक महत्वपूर्ण बैठक नई दिल्ली के कृषि भवन में मंगलवार को आयोजित की गई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल हुए। इस बैठक में पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर चर्चा की गई। किसानों के बीच जागरूकता फैलाने, वित्तीय सहायता, प्रभावी निगरानी, फसल प्रबंधन और विविधिकरण के उपायों पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ।

बैठक में पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां, हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मजिंदर सिंह सिरसा ने वर्चुअली भाग लिया।

कृषि मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में पराली प्रबंधन की स्थिति के बारे में जानकारी दी और बताया कि सभी सक्रियता और सतर्कता के साथ पराली प्रबंधन योजनाओं को लागू किया जा रहा है। हरियाणा के कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में वित्तीय सहायता प्रदान करके किसानों को पराली जलाने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने राज्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने पंचायतों और ग्रामीण स्तर पर जनप्रतिनिधियों की भागीदारी को भी महत्वपूर्ण बताया। शिवराज सिंह ने फसल प्रबंधन, सीधी बुवाई, और विविधीकरण जैसे मुद्दों पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि विभिन्न उपायों को अपनाते हुए एकजुट होकर काम करने से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। चौहान ने सीधी बुवाई को प्रोत्साहित करने की बात कही और कहा कि वह 12 अक्टूबर को अपने खेत में इसकी शुरुआत करेंगे।

केंद्रीय मंत्री ने रोटावेटर चॉपर, बायो डी-कम्पोजर, और मलचिंग के उपयोग को बढ़ावा देने का सुझाव दिया। उन्होंने बायो सीएनजी, इथनॉल संयंत्रों और अन्य उपकरणों के उपयोग पर भी जोर दिया।

चौहान ने कहा कि पराली के प्रबंधन के लिए धनराशि का सही उपयोग करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पराली पर आधारित बायो सीएनजी का उपयोग और प्रशिक्षण जागरूकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी बैठक में राज्यों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि पराली का संकलन और भंडारण अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस बैठक में कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. मांगी लाल जाट सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

Point of View

NationPress
07/10/2025

Frequently Asked Questions

पराली जलाने से क्या नुकसान होता है?
पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं और पर्यावरण को नुकसान होता है।
किसान पराली प्रबंधन के लिए क्या उपाय कर सकते हैं?
किसान विभिन्न तकनीकों जैसे कि बायो-डी-कम्पोजर, रोटावेटर चॉपर का उपयोग कर सकते हैं।
सरकार पराली प्रबंधन के लिए क्या सहायता प्रदान कर रही है?
सरकार किसानों को वित्तीय सहायता और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से मदद कर रही है।