क्या पश्चिम बंगाल में बाढ़ की समस्या का समाधान संभव है? 'नमामि गंगे' में 5,600 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश

सारांश
Key Takeaways
- पश्चिम बंगाल में बाढ़ के समाधान के लिए भूटान के साथ सहयोग।
- 5,600 करोड़ रुपए का निवेश बुनियादी ढांचे में सुधार करेगा।
- 31 सीवरेज परियोजनाएं और 30 घाटों का विकास।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में सीमा पार नदियों द्वारा उत्पन्न बाढ़ और नदी कटाव की समस्याओं के समाधान के लिए भूटान सरकार के साथ सक्रिय संवाद में है। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर संयुक्त विशेषज्ञ समूह (जेजीई), संयुक्त तकनीकी टीम (जेटीटी) और संयुक्त विशेषज्ञ टीम (जेईटी) जैसी संस्थाएं कार्यरत हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के अधिकारी भी शामिल हैं।
हाल ही में भूटान के पारो में आयोजित 11वीं जेजीई बैठक में भूटान से पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने वाली आठ नई नदियों- हाशिमाराझोरा, जोगीखोला, रोकिया, धवलाझोरा, गबुर बसरा, गबुर ज्योति, पाना और रैदक पर चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त, सीमा पार नदियों पर बाढ़ के पूर्वानुमान को बेहतर बनाने के लिए भूटान में जल विज्ञान अवलोकन नेटवर्क को सुदृढ़ करने का कार्य भी चल रहा है।
केंद्र सरकार ने बाढ़ प्रबंधन परियोजनाओं के अंतर्गत अब तक पश्चिम बंगाल सरकार को 1,290 करोड़ रुपए जारी किए हैं, जबकि वर्तमान में किसी नई परियोजना के लिए कोई वित्तपोषण प्रस्ताव केंद्र के पास लंबित नहीं है।
गंगा कार्य योजना और नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत पश्चिम बंगाल में कुल 5,648.52 करोड़ रुपए की 62 परियोजनाएं शुरू की गई हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने राज्य में 31 सीवरेज अवसंरचना परियोजनाओं और 30 घाटों और श्मशान परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
सीवरेज अवसंरचना के लिए 4,605.72 करोड़ रुपए की 31 परियोजनाओं का लक्ष्य 767.27 एमएलडी की अतिरिक्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता का निर्माण और 981 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाना है।
इन कार्यों के लिए एनएमसीजी ने 1,942.86 करोड़ रुपए जारी किए हैं। कोलकाता में टॉली नाला पुनरुद्धार को भी मंजूरी प्राप्त हुई है, जो नदी पुनरुद्धार की सबसे बड़ी एकल परियोजना है, जिसकी अनुमानित लागत 817.30 करोड़ रुपए है।
घाट और श्मशान परियोजनाओं के लिए 225.50 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 196.17 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं।
एनएमसीजी ने स्पष्ट किया है कि सीवरेज परियोजनाओं के लिए अग्रिम निधि जारी करने की व्यवस्था अपनाई जाती है, इसलिए 477 करोड़ रुपए बकाया होने का कोई दावा वर्तमान निधि स्थिति को सही ढंग से नहीं दर्शाता है।
नमामि गंगे मिशन-II के तहत पश्चिम बंगाल के 16 शहरों की पहचान की गई थी, लेकिन राज्य द्वारा केवल 4 विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) ही प्रस्तुत की गई हैं, जिनकी देरी का मुख्य कारण भूमि अधिग्रहण के मुद्दे बताए गए हैं। वर्तमान में एनएमसीजी के अनुमोदन के लिए कोई भी डीपीआर लंबित नहीं है।