क्या पीएम मोदी ने कालचक्र अभिषेक समारोह का उद्घाटन किया और खुद को सौभाग्यशाली बताया?
सारांश
Key Takeaways
- पीएम मोदी ने भूटान में कालचक्र अभिषेक का उद्घाटन किया।
- इस समारोह का सांस्कृतिक महत्व दुनिया भर के बौद्धों के लिए है।
- भूटान के चौथे नरेश के साथ मुलाकात में भारत-भूटान संबंधों पर चर्चा हुई।
नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्तमान में दो दिवसीय भूटान यात्रा पर हैं। अपनी यात्रा के दूसरे दिन, बुधवार को उन्होंने कालचक्र अभिषेक का उद्घाटन किया, जिसमें उन्होंने अपने आपको सौभाग्यशाली बताया।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उद्घाटन कार्यक्रम की तस्वीर साझा की। इस तस्वीर में पीएम मोदी भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और चौथे नरेश के साथ दिखाई दिए। उन्होंने लिखा, "भूटान के राजा महामहिम जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और महामहिम चौथे नरेश के साथ कालचक्र 'समय का चक्र' अभिषेक का उद्घाटन करने का सौभाग्य मिला। इसकी अध्यक्षता परम पावन जे खेंपो ने की, जिसने इसे और भी खास बना दिया।"
उन्होंने आगे लिखा, "यह दुनिया भर के बौद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसका सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। कालचक्र अभिषेक चल रहे वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव का एक हिस्सा है, जिसने बौद्ध धर्म के भक्तों और विद्वानों को भूटान में एकत्रित किया है।"
भूटान के प्रधानमंत्री छेरिंग तोबगे ने 'एक्स' पर लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पवित्र कालचक्र अभिषेक का उद्घाटन और आशीर्वाद दिया, जो आज चल रहे वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव के एक भाग के रूप में शुरू हुआ।"
इससे पहले, पीएम मोदी ने थिम्पू में भूटान के चौथे नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से मुलाकात की थी। उन्होंने मुलाकात की तस्वीर 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए बताया, "महामहिम चौथे नरेश के साथ एक अच्छी बैठक हुई। भारत-भूटान संबंधों को और मजबूत करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में उनके व्यापक प्रयासों की सराहना की। ऊर्जा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी में सहयोग पर चर्चा हुई। गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी परियोजना की प्रगति की सराहना की, जो हमारी एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप है।"
11 नवंबर, 1955 को जन्मे जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने भूटान के चौथे नरेश के रूप में कार्य किया। उनका शासनकाल 1972 से 2006 तक रहा और उन्हें भूटान के सबसे दूरदर्शी और प्रिय राजाओं में से एक माना जाता है। उनके नेतृत्व में, भूटान का आधुनिकीकरण हुआ, राष्ट्रीय एकता मजबूत हुई और एक अद्वितीय सुख-आधारित दर्शन अपनाया गया जिसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली।