क्या पीएम मोदी ने पुतिन को कश्मीरी केसर भेंट कर जम्मू-कश्मीर के किसानों की उम्मीदें बढ़ाई?
सारांश
Key Takeaways
- कश्मीरी केसर की महत्ता बढ़ी है।
- दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध मजबूत हुए हैं।
- किसानों के लिए नई संभावनाएं उत्पन्न हुई हैं।
- पर्यटकों की रुचि में वृद्धि हुई है।
- यह कदम जम्मू-कश्मीर की आर्थिकी के लिए सकारात्मक है।
अनंतनाग, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक दर्शाते हुए खास तोहफे भेंट किए। इनमें कश्मीर का मशहूर केसर और भगवद्गीता का रूसी संस्करण शामिल था। ये उपहार न केवल भारत की कला, आध्यात्मिकता और परंपरा को उजागर करते हैं, बल्कि दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को भी और मजबूत करते हैं।
कश्मीर के बुरहान दीन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए इस कदम पर खुशी व्यक्त की और कहा कि यह गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को कश्मीरी केसर उपहार में दिया।
उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी को जम्मू-कश्मीर के लोगों से विशेष लगाव है। वह चाहें तो कोई कीमती वस्तु भेंट कर सकते थे, लेकिन उन्होंने कश्मीर की पहचान केसर को चुना। यह हमारे लिए सम्मान की बात है। मैं सभी किसानों से अपील करता हूं कि वे केसर की पैदावार बढ़ाएं, क्योंकि अब यह विश्व के शीर्ष नेताओं तक पहुंच चुका है।
सामाजिक कार्यकर्ता सईद अख्तर हुसैन ने कहा कि कश्मीर की हर वस्तु अनमोल है और उसी अनमोलता का प्रतीक यहां का केसर है।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने कश्मीरी केसर को विश्व पटल पर और अधिक प्रख्यात कर दिया है। यदि किसान इसकी खेती को बढ़ावा दें तो यह वैश्विक स्तर पर और बड़ी पहचान बना सकता है। इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और बेरोजगारी कम होगी। जम्मू-कश्मीर में केसर की सबसे अधिक पैदावार होती है और प्रधानमंत्री द्वारा इसका चयन करना हमारे लिए गर्व की बात है।
कश्मीर घूमने आए पर्यटकों ने भी इस निर्णय का स्वागत किया। एक पर्यटक ने कहा कि पीएम मोदी द्वारा पुतिन को कश्मीरी केसर भेंट करने से हमारी जिज्ञासा और बढ़ गई है। हम यहां का असली केसर खरीदकर अपने साथ ले जाना चाहते हैं। यहां के किसान मेहनती हैं और केसर की खेती को बढ़ावा देना चाहिए। कश्मीर बेहद खूबसूरत है और यहां के लोग भी बहुत अच्छे हैं।