क्या पीएम कुसुम योजना के तहत धर्मेंद्र मेहता को मोदी ने सराहा?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री कुसुम योजना किसानों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- धर्मेंद्र मेहता का कार्य अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
- राजस्थान में हरित ऊर्जा की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।
कोटपुतली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के दौरे के दौरान हरित ऊर्जा से संबंधित योजना के तहत किसानों से संवाद करते हुए नीमराना के निकटवर्ती ग्राम सानोली के धर्मेंद्र मेहता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वे सोलर ऊर्जा उत्पादन में उत्कृष्ट काम कर रहे हैं। इस सराहना के बाद से धर्मेंद्र चर्चा में आ गए।
सानोली गांव में प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत हरित ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया गया है।
धर्मेंद्र कुमार मेहता ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम कुसुम योजना के तहत 845 मेगावाट के प्लांट का उद्घाटन किया। पीएम ने वर्चुअल रूप से इस प्लांट का उद्घाटन किया और मुझसे मेरी सफलता के बारे में पूछा। हमारा पहला प्लांट 2012 में और दूसरा 2024 में स्थापित हुआ। पहले प्लांट से 11 हजार और दूसरे प्लांट से 19 हजार यूनिट बिजली उत्पादन कर डिस्कॉम को दे रहे हैं। मैं और मेरा परिवार सोलर ऊर्जा के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य आने वाले समय में प्लांट की संख्या को बढ़ाना है।
पीएम मोदी ने किसानों के साथ ऊर्जा उत्पादन से जुड़ी चुनौतियों और उनके समाधान पर चर्चा करते हुए कहा कि किसान देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और राजस्थान इसका मजबूत उदाहरण है। प्रधानमंत्री मोदी के संवाद के दौरान धर्मेंद्र मेहता की प्रशंसा से बहरोड़-नीमराना क्षेत्र का नाम रोशन हुआ। ग्रामीणों और किसानों ने उन्हें शुभकामनाएं और बधाइयां दीं।
ध्यान देने योग्य है कि राजस्थान के बांसवाड़ा में 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम कुसुम योजना के लाभार्थियों से बातचीत की थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) योजना किसान समुदाय को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे बिजली की पारंपरिक आवश्यकताओं पर निर्भरता कम होगी और किसानों को नई आय के स्रोत भी प्राप्त होंगे।