क्या प्रधानमंत्री मोदी सभी धर्मों का सम्मान करते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
- विभिन्न समुदायों के कार्यक्रमों में भाग लेना उनकी नेतृत्व शैली का हिस्सा है।
- समाज की एकता और धार्मिक सामंजस्य को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- आधुनिक राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता है।
- रामदास आठवले ने प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन किया है।
नई दिल्ली, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एक ऐसे राजनेता हैं जो समाज को साथ लेकर चलते हैं। चाहे कोई भी व्यक्ति किसी भी जाति या धर्म का हो, वह हमेशा समाज के विभिन्न तबकों को एकजुट करने का प्रयास करते हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
आठवले ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी मुस्लिम, बौद्ध और ईसाई समुदायों के कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं। वह विभिन्न धर्मों के आयोजनों में जाकर अपनी बात खुलकर रखते हैं। उनका अपना धर्म हिंदू है, इसलिए यदि वह अयोध्या में राम मंदिर के ध्वजारोहण में शामिल होते हैं, तो इसमें किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इस देश में सभी को अपनी आस्था के अनुसार जीवन जीने का अधिकार है।
उन्होंने कांग्रेस नेता राशिद अल्वी के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अभी चुनाव नहीं हैं। चुनाव 2027 में होने हैं, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी के अयोध्या दौरे को आगामी चुनाव से जोड़ना पूरी तरह से निरर्थक है।
आठवले ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमेशा संविधान के अनुसार चलते हैं और इसे तरजीह देते हैं। यदि उन्हें अयोध्या के ध्वजारोहण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है, तो इससे किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विरोधी दलों के लोग प्रधानमंत्री के बारे में बेबुनियाद बातें फैला रहे हैं, लेकिन अब देश की जनता उनकी मंशा समझ चुकी है।
आठवले ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आमतौर पर विभिन्न धर्मों के समुदायों के बीच जाकर उनके कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। इससे पहले वह महाराष्ट्र में बोहरा समुदाय के कार्यक्रम में शामिल हुए थे, और हर क्रिसमस पर ईसाइयों के कार्यक्रम में भी भाग लेते हैं। प्रधानमंत्री समाज के विभिन्न तबकों को एक सूत्र में बांधने का प्रयास करते हैं। लेकिन, विपक्षी दलों के बयानों के बारे में उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है।