क्या आप जानते हैं भारतीय कॉमिक्स के जनक प्राण के बारे में?

Click to start listening
क्या आप जानते हैं भारतीय कॉमिक्स के जनक <b>प्राण</b> के बारे में?

सारांश

प्राण कुमार शर्मा, भारतीय कॉमिक्स के जनक, ने अपनी अनोखी रचनाओं से बच्चों के दिलों में जगह बनाई। चाचा चौधरी और साबू जैसे किरदार आज भी हमारे साथ हैं। जानिए उनकी जीवन यात्रा और योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • प्राण ने भारतीय कॉमिक्स को नया आयाम दिया।
  • चाचा चौधरी और साबू जैसे किरदार आज भी लोकप्रिय हैं।
  • उनकी कहानियाँ सामाजिक संदेश प्रदान करती हैं।
  • उन्होंने 500 से अधिक कॉमिक्स बनाए हैं।
  • उनका योगदान वैश्विक स्तर पर पहचाना गया।

नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय कॉमिक्स को भारतीय रंग, भावनाएं और जमीनी किरदार देने का श्रेय यदि किसी व्यक्ति को जाता है तो वह हैं प्राण कुमार शर्मा, जिन्हें हम सब प्यार से प्राण के नाम से जानते हैं। 6 अगस्त 2014 को उनका निधन हुआ था, लेकिन उनके गढ़े किरदार आज भी लाखों दिलों में जीवित हैं।

किरदार चाचा चौधरी, साबू, पिंकी, बिल्लू, और श्रीमतीजी केवल कॉमिक्स के पन्नों में ही नहीं रहते; वे हर भारतीय बच्चे की याद, उनकी हंसी और सोच में बसे हुए हैं। प्राण को भारतीय कॉमिक्स का जनक कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने 1960 के दशक में वह किया जो तब कोई सोच भी नहीं सकता था। विदेशी कार्टूनों के दौर में उन्होंने एक पूरी तरह देसी दुनिया रच दी, जिसमें भारतीय किरदार, भारतीय हालात और हमारी जमीन की सच्चाइयां शामिल थीं।

प्राण का जन्म 15 अगस्त 1938 को हुआ था, तब भारत आजाद नहीं हुआ था और न ही भारतीय कॉमिक्स का कोई अस्तित्व था। बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया। प्राण ने अपनी कला में भारतीय समाज की धड़कनों को महसूस किया और उसी को चित्रों में ढालना शुरू किया। उन्होंने मुंबई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से फाइन आर्ट्स में शिक्षा ली, लेकिन असली शिक्षा उन्होंने जनता से ली, उस भारतीय मध्यमवर्ग से जो उनके हर किरदार में झलकता है। 1969 में 'लोटपोट' पत्रिका में चाचा चौधरी का जन्म हुआ और देखते ही देखते यह किरदार भारतीय बच्चों का हीरो बन गया। 'चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से तेज' था, लेकिन उसका दिल हर भारतीय बुजुर्ग जैसा ही था।

प्राण ने सिर्फ बच्चों का मनोरंजन नहीं किया, उन्होंने समाज को एक आईना भी दिखाया। उनके कॉमिक्स में हास्य तो होता ही था, लेकिन साथ में एक सामाजिक संदेश भी छिपा होता था। उनकी कहानियाँ ईमानदारी, समझदारी और मानवीय मूल्य की बात करती थीं। यही वजह है कि उनके कॉमिक्स न केवल बच्चों, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों के बीच भी लोकप्रिय थे। उनके बनाए किरदारों में से साबू, जो जुपिटर ग्रह से आया एक विशालकाय दोस्त था, आज भी चाचा चौधरी की कहानियों में ताकत और सच्चाई का प्रतीक है। वहीं पिंकी और बिल्लू जैसे किरदार बच्चों की शरारतों और मासूमियत को दर्शाते हैं।

प्राण के योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचाना गया। 'वर्ल्ड एन्साइक्लोपीडिया ऑफ कॉमिक्स' के संपादक मौरिस हॉर्न ने उन्हें 'भारत का वॉल्ट डिज़्नी' कहा। 2001 में उन्हें पहले कॉमिक्स कन्वेंशन में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला। 2014 में उनके सम्मान में गूगल ने एक विशेष डूडल जारी किया, यह दिखाने के लिए कि भारतीय जनमानस में उनकी क्या जगह है। उन्होंने 500 से अधिक कॉमिक्स बनाए और उनके किरदार आज भी 10 से अधिक भाषाओं में पढ़े जाते हैं।

उनका बनाया पहला भारतीय कॉमिक-बेस्ड टीवी शो 'चाचा चौधरी' 600 एपिसोड तक सहारा वन चैनल पर प्रसारित हुआ, जो इस बात का सबूत है कि भारतीय कहानियाँ, भारतीय हीरो और देसी हास्य भी उतने ही लोकप्रिय हो सकते हैं जितना कोई विदेशी सुपरहीरो। उन्होंने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कोरिया और चीन जैसे देशों में जाकर व्याख्यान भी दिए, जिससे यह साफ है कि उनकी कला केवल भारतीय नहीं, बल्कि वैश्विक थी।

Point of View

बल्कि उन्होंने समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों को हास्य के माध्यम से उजागर किया। यह दर्शाता है कि भारतीय कहानियाँ और किरदार भी वैश्विक स्तर पर समान रूप से महत्वपूर्ण और प्रभावशाली हो सकते हैं।
NationPress
05/08/2025

Frequently Asked Questions

प्राण का जन्म कब हुआ था?
प्राण का जन्म 15 अगस्त 1938 को हुआ था।
प्राण को किस नाम से जाना जाता है?
प्राण को सभी लोग प्यार से प्राण के नाम से जानते हैं।
प्राण ने कौन-कौन से प्रसिद्ध किरदार बनाए?
प्राण ने चाचा चौधरी, साबू, पिंकी, और बिल्लू जैसे प्रसिद्ध किरदार बनाए।
प्राण को कौन सा पुरस्कार मिला है?
प्राण को 2001 में पहले कॉमिक्स कन्वेंशन में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला।
प्राण की कॉमिक्स का सामाजिक संदेश क्या है?
प्राण की कॉमिक्स में ईमानदारी, समझदारी, और मानवीय मूल्य का संदेश शामिल होता है।